HUID : 23 अगस्त की हड़ताल रिटेलर को ठगने का छलावा - एस के मनीष


 वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा

लखनऊ/अगस्त| सरकार द्वारा स्वर्णाभूषण व्यापार को कंट्रोल में लेने हेतु ज़बरदस्ती लागू की जा रही HUID पालिसी ने इस व्यापार की कमर तोड़ रखी है| और अब खासतौर से बड़ी मंडियों के बड़े व्होलसेलर जो हज़ारों करोड़ का प्रतिवर्ष टर्नओवर करते है, ने अपने आपको एक्सपोज़ होने से बचने के लिए बीआईएस द्वारा हॉलमार्किंग को छोटे व्होलसेलर या रिटेलर पर थोपने की कुत्सित चाल चल रहे है| जिसका विभिन्न राज्यों में घोर विरोध भी देखा जा रहा है| और अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे 23 अगस्त की प्रस्तावित हड़ताल ने स्वर्ण व्यापार जगत में काफी हलचल पैदा कर दी है, हालाँकि इस हड़ताल की ज़िम्मेदारी अभी तक किसी भी संगठन ने नहीं ली है| इस विषय पर सोसल मीडिया और तमाम व्यापारी नेताओं से संपर्क करने पर भिन्न भिन्न प्रतिक्रिया देखने को मिली है| 

       अखिल भारतीय स्वर्णकार विकास परिषद् का कहना है कि हम इस प्रस्तावित हड़ताल का समर्थन नहीं करते हैं | सरकार के सभी आदेश एक प्रशासनिक प्रक्रिया के अंतर्गत लिए गए हैं और आभूषण उद्योग एवं व्यापार से जुड़े प्रतिनिधि सरकार से निरंतर संपर्क में हैं | सरकार अपना पक्ष रख रही है इसका अर्थ है कि सरकार संवेदनशील है अन्यथा कोई मीटिंग ही नहीं करती | समस्त भारत के सर्राफा संगठन ने पहले एचयूआइडी को वापस करवाने का प्रयास किया। सरकार एवं बीआईएस के कठोर रवैये के कारण यह सफल नहीं हुआ। तब भारत की एक शीर्ष सर्राफा संगठन ने एक कूटनीतिक चाल के तहत इस एचयूआइडी को छोटे सर्राफा के माथे मढ़ कर अपने आप को बीआईएस ऐक्ट के शिकंजे से बाहर रखने की कोशिश की है। इस संगठन ने 23 अगस्त को हड़ताल इत्यादि का आवाहन करके सरकार पर यह दबाव बनाने का प्रयास भी किया है। एक विशेष टीम बनाई गई, उसे टास्क फोर्स का नाम दिया गया।

टास्क फाॅर्स का गठन -

  भारी मंथन से एक sop बनाया गया उसे एड्वाइजरी कमेटी को सौंप दिया गया। उसके बाद मीटिंग की गई - एक नाटकीय मंचन विभिन्न शहरों से कुछ लोगों को मात्र भीड़ बढ़ाने बुलाया गया। जिसमें sop को समझने व उसपर कोई राय देने का कोई अवसर किसीको नहीं दिया गया, और sop में एचयूआइडी को फर्स्ट सेलर से हटा कर लास्ट सेलर पर लागू करने की बात कही गयी। औऱ उधर किसीका ध्यान ही न जाये इसलिए पूरी क्षमता से जोर शोर से इस घटिया चाल को एचयूआइडी के विरोध का का जमा पहनाया गया । इस sop को सत्यापित करवाने के लिए 1 दिवसीय हड़ताल का आव्हान किया जाने लगा। आज असल स्थिति ये है sop की मान्यता हड़ताल पर आधारित है। और अगर ये मान्य हो गया तो ये 1 दिन की हड़ताल पिछली 45 दिन की हड़ताल से कई गुना ज्यादा घातक होगी। एचयूआइडी लास्ट सेलर यानी रिटेलर के मत्थे आ जायेगी। गलत प्योरिटी व डुप्लीकेट हॉल्मार्क का खेल खेलने वाले निर्माता सर्राफा को जम्मू कश्मीर के तरह स्पेशल स्टैटस मिल जाएगा। छोटे दुकानदार को चोर साबित करना आसान हो जाएगा। जो बेचारे अनजाने में निर्माता एवं व्होलसेलर के गलत आभूषण को बेच कर बीआईएस के शिकंजे में फंस जाएंगे। लास्ट सेलर पर एचयूआइडी पर डुप्लीकेट मार्किंग का व्यापार चलना आसान होगा। राजनीति की ही तरह अब स्वर्णव्यवसाय में भी प्रशांत जैसे विद्वानों का दखल होने लगा है। जो बड़े लोगों के लिए नीतियां बना सके और लोग सहर्ष उस मीठे जहर की गोलियां निगलते रहें। ध्यान रहे 1 दिन की हड़ताल पिछले 45 दिन से ज्यादा घातक है। बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है। साजिश से बच के रहें। हड़ताल के फेर में न आवें, यही निवेदन बताया जाता है कि 28 जुलाई को बड़े व्होलसेलर का गैंग ललित होटल में जमा हुआ था। उनका एजेंडा यही था की किसी तरह एचयूआइडी की जिम्मेदारी लास्ट रिटेलर पर तय कर दी जाए। यह वही झूठों का गैंग था जिसने भारत के स्वर्ण कारोबार का सत्यानाश किया था।

देखने वाली बात यह है कि - 

1. सोने के गहनों में पाउडर मिला कर सभी रिटेलर को धोखा किसने दिया ? हमारे दिल्ली, बम्बई, राजकोट, बंगलौर वाले हॉलेसेलर एवं मेनुफकचरर, जो कि आज वही गले में तुलसी और माथे पर चंदन मल कर शुद्ध बुलियन बेचने को कह रहे हैं।

 2. दूसरा धोखा - भारत के सभी रिटेलरों को डिफ़ेकटिव खरीद बिल किसने दिया ? भारत के सभी हॉलसेलर एवं मेनुफकचरर ने। आज सारे भारत के रिटेलर डर के मारे मरे जी रहे हैं की उनके पुराने खरीद बिल पर न तो 22K916 लिखा हुआ है न ही 35 रुपया लेने का जिक्र है। 

3. तीसरा धोखा - सारे भारत में 5 रुपए में हॉल्मार्क किसने करवाए? इन्हीं दिल्ली, बम्बई, राजकोट, बंगलौर वालों ने। 

4. चौथा धोखा - आज पुराने हॉल्मार्क किए गहनों को HUID के लिए दोबारा हॉल्मार्क सेंटर को दो तो सौ में नब्बे फेल हो जाएंगे। 

5. आज वही झूठा हॉलेसेलर और मैन्युफैक्चरर कह रहा है की वह अपने गहने बिना हॉल्मार्क के स्टोर करेगा, आज सरकार मनाने को तैयार भी है। 

6. आज वही हॉलसेलर एवं मैन्युफैक्चरर कह रहा है की उनको रिटेलर के नाम से HUID करवाने की छूट देने का कायदा कानून की किताब में लिख दो। 

7. आज यही झूठों का गैंग टास्क फोर्स के नाम से मीटिंग कर रहा है। यह कैसा टास्क फोर्स ? यह तो जीजेसी है मुखौटा लगाया हुआ। 

8. आखिर यह जीजेसी ने मुखौटा क्यों लगाया हुआ है ? इसलिए की इसी जीजेसी का मुखिया एडवाइजरी कमिटी में भी है। 

9. मतलब जीजेसी, टास्क फोर्स और एड्वाइजरी कमिटी सभी एक ही गैंग के द्वारा संचालित है? हाँ अब सही समझे। ट्रिपल रोल मैं है यह गैंग । 

10. 18 या 19 तारीख को मंत्रालय से मीटिंग है इस एड्वाइजरी कमिटी की दिल्ली में, जीजेसी की मीटिंग कहो मंत्रालय से। 

11. मीटिंग में वह मंत्रालय से कहेंगे की हम हॉलसेलर एवं मेनुफकचरर को रिटेलर के नाम से HIID करवाने दो। वरना हम 23 को हड़ताल करवा देंगे। 

12. मतलब रिटेलर के सर्वनाश के लिए उसी से हड़ताल करवा देंगे ? 

13. इनका प्लान पहले था कि HUID नहीं आने दो। जब वह प्लान फेल हो गया तो उन्होंने प्लान B की पर काम सुरू कर दिया। 

14. प्लान B है की HUID को रिटेलर सर मढ़ दो। और यही असली कारण है 23 तारीख के हड़ताल का।

         कुछ संगठन जैसे संयुक्त सर्राफा मोर्चा, राष्ट्रीय स्वर्णकार मंच का कहना है रिटेलर को हड़ताल करना ही नहीं चाहिए। जीजेसी मतलब टास्क फोर्स है और अपना उल्लू सीधा करने के लिए यह सारा हड़ताल का ड्रामा वही कर रही है हम सब छोटे छोटे ज्वेलर्स और कारीगरों को इनके चुंगल से दूर रहना चाहिए। - अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि - हड़ताल का लिखित कॉल किसने दिया है ? पता नहीं!!! हड़ताल का लिखित उद्देश्य कहाँ है ? पता नहीं !!! हड़ताल का फाइनल कॉल मिल गया है ? जी नहीं बिल्कुल नहीं। 

        संयुक्त सर्राफा मोर्चा के संयोजक एस के मनीष का कहना है कि जिन्होंने हड़ताल का मौखिक आदेश दिया है वह खुद अभी 18 अगस्त तक संशय में हैं। और सीधे सादे सर्राफा इनके झांसे में आ कर अपने तरफ से हड़ताल का फाइनल कॉल ठोक दिए हैं। अगर मौखिक आदेश देने वाले लोगों का 18 अगस्त की मीटिंग उनके मन मुताबिक रहा तो वह हड़ताल से पलट जाएंगे। तो जो हड़ताल समर्थक अपना ढोल पीट रहे हैं उनका ढोल तो उस दिन फट जाएगा। हड़ताल का असली मुद्दा एड्वाइजरी कमिटी द्वारा भारत के समस्त सर्राफा के तरफ से दिया गया एक फाइनल रिपोर्ट एवं एक फाइनल लेटर है । पर भारत के बहुत कम लोगों के नसीब में वह पढ़ना लिखा है। बिना उस फाइनल रिपोर्ट को पढ़े लोग गाला फाड़ रहे हैं कि हम तो हड़ताल करेंगे। यह सारा कुछ ऐसा है कि, कोई मारे खुशी के चिल्ला रहा हैं कि मेरी शादी है। और शादी का कार्ड पढ़ा ही नहीं है, शादी का कार्ड पढिये हो सकता है लड़की का नाम पढ़ कर आप मूर्छित हो जाएं तथा शादी से इनकार कर दें। श्री मनीष ने आगे कहा कि एड्वाइजरी कमिटी या टास्क फोर्स के रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के पहले सरकार या बीआईएस यह पता कर ले की क्या इनको समस्त भारत के सर्राफा का समर्थन प्राप्त है ? एक दिन का हड़ताल किसी हाल में रिटेलर के सर पर एचयूआइडी लगाने के लिए नहीं है।