वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 29 अगस्त। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न दिए जाने की मांग को लेकर आज राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर दीप प्रज्वलित कर सरकार के सम्मुख अपनी माँग रखी। एकत्र लोगों को संबोधित करते हुए अनुपम मिश्रा ने कहा कि नीरज चोपड़ा को टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक मिला तो पूरा देश खुशी से झूम उठा और उन पर चारों ओर से धन वर्षा होने लगी। वह देश के हीरो बन गए जो ठीक भी था क्योंकि उन्होंने देश के लिए ओलंपिक में स्वर्ण जो जीता था पर क्या विडंबना है कि जिस देश में एक स्वर्ण पदक लाने वाले को तो सर आंखों पर बिठाया जाता है पर उसी देश को तीन -तीन स्वर्ण पदक दिलाने वाले की सुध तक नहीं ली जाती। आगे बोलते हुए अनुपम मिश्रा ने कहा कि विश्व के महान खिलाड़ियों में से एक ध्यानचंद जी को आज हम उनके जन्मदिवस पर ना केवल याद करते हैं बल्कि उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित करते हैं। चमड़े की उस बॉल के ललाट पर अपनी लकड़ी की हॉकी से उन्होंने न जाने कितनी बार सफलता के चुंबन देकर भारत मां के सिर को गर्व से ऊंचा उठाया और विश्व -खेल जगत के सम्मुख भारत का नाम एक बार नहीं बल्कि कई बार स्वर्ण अक्षरों में अंकित कराया।
1936 के बर्लिन ओलंपिक में हिटलर जैसा तानाशाह भी मंच से उतरकर उनके सामने आकर शालीनता से मिला था और हॉकी के जादूगर की स्टिक को हाथ में लेकर कहा था कि जरूर इसमें कोई जादू टोना है। क्यों ना इस हॉकी को बदल दिया जाए तब उन्होंने बड़ी सहजता से मुस्कुरा कर दूसरी हॉकी उठाई और मैदान पर दनादन तीन गोल लगातार धागे। इस अद्भुत दृश्य के बाद तो हिटलर भी उनके प्रशंसक हो गए और उन्हें जर्मनी की तरफ से खेलने का तथा जर्मन सेना में कर्नल के पद का प्रस्ताव भी दिया,जिस प्रकार फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन का नाम जाना जाता है, उसी तरह हॉकी में ध्यानचंद का नाम जाना जाता है। ध्यानचंद जिन्होंने तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक अपने बल पर भारत को दिलाएं। उन्हें 1956 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया जो कि उन जैसे महान व्यक्तित्व के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि जो योगदान उन्होंने देश के राष्ट्रीय खेल को दिया है उसके लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से बहुत पहले ही पुरस्कृत किया जाना चाहिए था। पर इस देश की यही विडंबना है कि यहां राजनेताओं को तो मृत्यु के 1- 2 साल में ही भारत रत्न से अलंकृत कर दिया जाता है पर जिन्होंने मुल्क को मान ,स्वाभिमान तथा प्रतिष्ठा का परचम पूरे विश्व में लहराया वह आज भी भूले बिसरे कहीं पड़े हुए हैं। इसलिए आज के राजनीतिक नेतृत्व पर राष्ट्रीय लोक दल यह जिम्मेदारी डालता है कि देश के राष्ट्रीय खेल को उसका गौरव वापस दिलाने के लिए ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। शायद हम तभी उनको सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे। यदि इस कृतघ्न राष्ट्र को मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देनी ही है तो भारत रत्न से सम्मानित कर अपनी भूल सुधार के साथ ही राष्ट्रीय गौरव की रक्षा भी करे।राष्ट्रीय लोकदल भारत सरकार से देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी के भीष्म पितामह मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग करती है। इस पुरस्कार से ना केवल हॉकी को उसका गौरव व ध्यानचंद को उनका उचित सम्मान मिलेगा बल्कि भारत रत्न की गरिमा में भी चार चांद लगेंगे । इस अवसर पर सिटीजन डेवलपमेंट की अध्यक्ष शालिनी सिंह व उनकी महिला साथी तथा पार्टी , रमावती, इकराम सिंह, यज्ञेनदु पाडें (लकी पांडे), रणविजय सिंह आदि तमाम पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।