मछली पालन व्यवसाय|मछली पालन के तरीके|मछली पालन लोन|मत्स्य पालन योजना|मछली पालन कैसे करे

 
वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 29 मई। 


मछली पालन योजना
    सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए मछली पालन योजना क्या है इस व्यवसाय को हम किस प्रकार कर सकते हैं इसको करने के लिए हमें कितना पैसा चाहिए मछली पालन व्यवसाय के लिए सरकार हमें कितना लोन दे रही है इसकी पूरी जानकारी हो तभी हम मछली पालन योजना के बारे में सोच सकते हैं!
      मछली पालन में जितनी लागत आएगी उसकी 80 प्रतिशत राशि सरकार अनुदान के रूप में देगी।
जिला मत्स्य अभिकरण यह कोशिश मछली पालन केउत्पादन को बढ़ाने के लिए कर रहा है। मछली का उत्पादन 4 हजार किलो प्रति हेक्टेयर है। विभाग की कोशिश उत्पादन बढ़ाकर 4 हजार 5 सौ किलो प्रति हेक्टेयर करने की है। सरकार जो सुविधाएं मछली पालन करने वालों को दे रही है, उनके बारे में उन्हें पता नहीं है। इसकी जानकारी होने पर वे लोग मछली पालन में रुचि दिखाएंगे।


मछली पालन के लिए जानकारी कहाँ से मिलती है?


      मछली पालन हेतु जानकारी प्राप्त करने हेतु उत्तरप्रदेश जनपद में स्थित सहायक निदेशक मत्स्य/मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण के कार्यालय से सम्पर्क किया जा सकता है।
मण्डल के मण्डलीय उप निदेशक मत्स्य कार्यालय से भी सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
मत्स्य पालन हेतु तालाब तैयारी का उचित समय क्या है?


      मत्स्य पालन प्रारम्भ करने से पूर्व अप्रैल, मई एवं जून माह में तालाब मत्स्य पालन हेतु तैयार किया जाता है।


मछली पालन में कौन-कौन सी मछलियां पाली जाती है ?


    मछली पालन में मुख्य रूप से 6 प्रकार की मछलियां पाली जाती हैं | भारतीय मेजर कार्प में रोहू, कतला, मृगल (नैन) एवं विदेशी मेजर कार्प में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कामन कार्प मुख्य है।
मछली पालन के लिए  बीज कहाँ से प्राप्त होता है?


मछली पालन हेतु बीज प्राप्त करने हेतु जनपद के मत्स्य पालक विकास अभिकरण से सम्पर्क किया जा सकता है। जहाँ से मत्स्य बीज का पैसा जमा कराने पर अभिकरण द्वारा मत्स्य विकास निगम की हैचरी से मत्स्य बीज प्राप्त कर मत्स्य पालक के तालाब में डाला जाता है।
इसके अतिरिक्त मत्स्य पालक जनपदीय कार्यालय में मत्स्य बीज का पैसा जमा कराकर सीधे निगम से अपने साधन से मत्स्य बीज तालाब में डाल सकता है। 


 क्या मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग से कोई ऋण दिया जाता है?


नहीं, अपितु मछली पालन हेतु तालाब निर्माण, बंधों की मरम्मत, पूरक आहार, आदि मदों हेतु विभाग द्वारा बैंक से ऋण हेतु प्रस्ताव तैयार कराकर दीया जाता है! जो लोग ग्राम समाज के तालाब में मछली पालन न करके निजी क्षेत्र के तालाबों में मछली पालन करना चाहते हैंउनके लिए भी यूपी सरकार अनुदान राशि देती है। ऐसे लोगों को प्रोजेक्ट राशि की 48 प्रतिशत धनराशि अनुदान में मिलती है। 
52 प्रतिशत राशि मछली पालन करने वाले को लगानी पड़ती है। निजी क्षेत्रके तालाबों में मछली पालन के लिए यूपी सरकार 93 हजार 200 रुपये प्रति हेक्टेयर देती है। 
क्या ऋण पर कोई अनुदान भी दिया जाता है?


बैंक द्वारा स्वीकृत किये गये ऋण की धनराशि हेतु सामान्य जातियों को 20 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के मत्स्य पालकों को 25 प्रतिशत विभाग द्वारा सरकारी अनुदान दिया जाता है।


बैंकों से मिलेगा लोन 


      मछली के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान ही नहीं बैंकों की ओर से लोन भी मिलेगा। तालाब सुधार के लिए प्रति हेक्टेयर 75 हजार रुपये का ऋण तथा इनपुट पर 50 हजार रुपये का ऋण मिलेगा। निजी भूमि पर नए तालाब निर्माण के लिए 3 लाख रुपये तकका बैंक ऋण मिलेगा।


क्या मछलियों में बीमारी भी लगती है ?


    मछलियों में मुख्यत: फफूंद, जीवाणुओं, प्रोटोजोआ परजीवियों, कृमियों, हिरूडिनिया आदि द्वारा बीमारी उत्पन्न होती है |
      जिसके निदान हेतु जनपदीय कार्यालय में सम्पर्क कर अधिकारियों/ कर्मचारियों से तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उसके उपचार करना चाहिए।
क्या मछली पालन मिट्टी पानी की जांच भी होती है?


मछली पालन हेतु मिट्टी एवं पानी की जांच होती है जिसके लिए मत्स्य पालक जनपद के मत्स्य पालक विकास अभिकरण के कार्यालय में मिट्टी एवं पानी के नमूने उपलब्ध कराकर मिट्टी, पानी की नि:शुल्क जांच करा सकते हैं |
जांच के आधार पर अधिकारी/ कर्मचारी से तकनीकी सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
क्या ऋण पर कोई अनुदान भी दिया जाता है?


बैंक द्वारा स्वीकृत किये गये ऋण की धनराशि हेतु सामान्य जातियों को 20 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के मत्स्य पालकों को 25 प्रतिशत विभाग द्वारा सरकारी अनुदान दिया जाता है।


क्या मछलियों में बीमारी भी लगती है ?


मछलियों में मुख्यत: फफूंद, जीवाणुओं, प्रोटोजोआ परजीवियों, कृमियों, हिरूडिनिया आदि द्वारा बीमारी उत्पन्न होती है |
जिसके निदान हेतु जनपदीय कार्यालय में सम्पर्क कर अधिकारियों/ कर्मचारियों से तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उसके उपचार करना चाहिए।
क्या मछली पालन हेतु मिट्टी पानी की जांच भी होती है?


मछली पालन हेतु मिट्टी एवं पानी की जांच होती है |
जिसके लिए मत्स्य पालक जनपद के मत्स्य पालक विकास अभिकरण के कार्यालय में मिट्टी एवं पानी के नमूने उपलब्ध कराकर मिट्टी, पानी की नि:शुल्क जांच करा सकते हैं |
 जांच के आधार पर अधिकारी/ कर्मचारी से तकनीकी सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
जिन तालाबों को सुखाया नहीं जा सकता उसकी तैयारी कैसे करें ?


मौजूदा तालाबों में मत्स्य पालन करने से पूर्व अवांछनीय वनस्पति एवं मछलियों की निकासी आवश्यक है।
     वनस्पतियां हाथ से तथा मछलियां 25 क्विंटल  प्रति हेक्टेयर प्रति मीटर पानी की गहराई की दर से महुआ की खली का प्रयोग कर अथवा बार-बार जाल चलाकर निकाली जा सकती हैं।