वेब वार्ता /अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 4 अगस्त। भारत के पाँच लाख हॉलसेलर एवं रिटेलर ज्वेलर्स के अधिकार का हनन करने की चाह रखने वाले, भारतीय स्वर्ण उद्योग के मजबूत एवं सबल धडे मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह द्वारा खुद को स्पेशल स्टेटस देने वाला एक एसओपी (राहत पैकेज का मसौदा ) एडवाइजरी कमिटी ऑफ हालमार्किंग के सामने पेश किया गया है। यह एसओपी (राहत पैकेज का मसौदा) मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह को स्वर्ण व्यापार करने की खुल कर छूट देगा, परंतु उन्हें बीआईएस ऐक्ट के तमाम प्रावधानों से बाहर रखेगा। इस साजिश की खबर से मात्र से भारत के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम वर्ग के तमाम हॉलसेलर एवं रिटेलर ज्वेलर्स के बीच असंतोष की लहर उठ खड़ी हुई है ।
स्पेशल स्टेटस के संकल्पना की चाह रखने वाले मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह के राहत पैकेज के मसौदे के अनुसार उन्हें नॉन एचयूआईडी आभूषण स्टोर करने का सुविधा प्रदान किया जाएगा । नियम कानून को ताक पर रख रिटेलर ज्वेलर्स को लास्ट पॉइंट आफ सेल के साथ साथ फर्स्ट पॉइंट आफ सेल भी घोषित किया जाएगा । जीसटी के अप्रूवल चालान की आड़ में नॉन एचयूआइडी आभूषण को हॉलसेलर एवं रिटेलर ज्वेलर्स के पास भेजा जाएगा । तत्पश्चात वैश्विक नियम “ उत्पाद का क्वालिटी चेक प्रथम स्तर पर “ नियम की धज्जी उड़ाते हुए मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स द्वारा बेचे गए आभूषण को हॉलसेलर अथवा रिटेलर के नाम पर एचयूआईडी मार्क करवा दिया जाएगा। भारत के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम सर्राफा की शीर्ष संस्था संयुक्त सर्राफा मोर्चा के लीगल एडवाइजर श्री एस के मनीष ने मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह के एसओपी (राहत पैकेज के मसौदे ) को नाजायज ठहराते हुए इसे रिटेलर एवं हॉलसेलर ज्वेलर्स विरोधी बताया तथा कहा की यह जम्मू एंड कश्मीर जैसा स्पेशल स्टैटस मांगने जैसा कार्य है।
मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह के एसओपी के जवाब में एस के मनीष ने संयुक्त सर्राफा मोर्चा का अपना एसओपी (राहत पैकेज का मसौदा) एडवाइजरी कमिटी ऑफ हालमार्किंग एवं बीआईएस के सामने पेश भी कर दिया है । यह एसओपी हॉलसेलर एवं रिटेलर ज्वेलर्स के हक की रक्षा करेगा ।
संयुक्त सर्राफा मोर्चा के एसओपी के कुछ मुख्य बिन्दु-
(क) अगर बीआईएस मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह को अपने आभूषण बिना एचयूआईडी मार्क के स्टोर करने की छूट देती है तो, हॉलसेलर एवं रिटेल ज्वेलर्स को भी उनके द्वारा बनाए गए आभूषण को बिना एचयूआइडी मार्क स्टोर करने की सुविधा दे ।
(ख) अगर बीआईएस मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह को नॉन एचयूआईडी मार्क आभूषण, अप्रूवल चालान पर रिटेलर या हॉलसेलर ज्वेलर्स तक भेजने की सुविधा प्रदान करती है तो, रिटेलर ज्वेलर्स को भी अप्रूवल चालान पर अपने नॉन एचयूआइडी मार्क आभूषण उपभोक्ता के निवास स्थान तक भेजने की छूट दे। इस एसओपी के मिलने के बाद बिआईएस की बाध्यता हो जाएगी की अगर कानून में छूट देनी है तो सभी को दे वरना किसी को नहीं दे ।
मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह के कुत्सित साजिश को भारत के कुछ नामी गिरामी ज्वेलर्स संगठन द्वारा दिए जा रहे समर्थन पर श्री एस के मनीष ने कहा की उनका सूक्ष्म लघु एवं मध्यम ज्वेलर्स के हित की रक्षा करने के ढोंग का आज पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने स्वर्ण उद्योग के सबसे मजबूत धडे मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह को एक स्पेशल स्टैटस देने की वकालत कर खुद का भांडा फोड़ कर लिया है । संयुक्त सर्राफा मोर्चा के लीगल एड्वाइजर श्री एस के मनीष ने साफ साफ शब्दों में बीआईएस से मांग की है की एक देश एक कानून की अवधारणा के तहत बीआईएस ऐक्ट के सभी प्रावधान सभी ज्वेलर्स के लिए एक समान रखे जाएं। जब हॉल्मार्क लाइसेन्स एक तरह का है तो मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स पर एक कानून, वहीं हॉलसेलर एवं रिटेल ज्वेलर्स पर दूसरा कानून, कभी स्वीकार्य न होगा । भारत के स्वर्ण उद्योग के सबसे मजबूत धडे, मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह को जम्मू एंड कश्मीर की तरह स्पेशल स्टैटस देने की संकल्पना को भारत के सर्राफा उद्योग के हॉलसेलर एवं रिटेलर ज्वेलर्स कभी स्वीकार नहीं करेंगे। एस के मनीष ने कहा की “ क्वालिटी चेक प्रथम स्तर पर “ के वैश्विक नियम की अवहेलना को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत की सबल मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह एक ऐसे नियम को प्रतिपादित करना चाहती है जो एक स्थापित वैश्विक नियम के विरुद्ध है एवं निंदनीय है। उन्होंने कहा की आभूषण किसी का और एचयूआइडी मार्क किसी और का, यह संकल्पना ही अवैध है। ऐसा कोई प्रयास पूरे बीआईएस ऐक्ट 2016 के अस्तित्व पर संकट खड़ा करने के लिए पर्याप्त है । अपने द्वारा दिए जा रहे तर्क के समर्थन में उन्होंने 2 जुलाई 2014 का मद्रास हाई कोर्ट द्वारा एक ज्वेलर्स एसोसिएसन को दिए गए अंतरिम आदेश का भी उद्धरण दिया। भारत के सबल मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह द्वारा अपने बनाए आभूषण के शुद्धता की जिम्मेवारी हॉलेसेलर एवं रिटेल ज्वेलर्स पर थोपने के साजिश की खबर से भारत के MSME वर्ग में असंतोष की लहर उठ गई है। अगर बीआईएस ने मैन्युफैक्चरर ज्वेलर्स समूह के इस कुत्सित प्रयास में उनका साथ दिया तो आने वाले समय में न सिर्फ सर्राफा समाज में बल्कि न्यायपालिका में भी तीव्र विरोध का सामना करना पड़ेगा।