IS-1417 सुधार के अंतर्गत KS शुद्धता (99.50) के आभूषण बनाने की अनुमति एक भ्रम - एस के मनीष


 - उपभोक्ता एवं रिटेलर के बीच विस्वास कि डोर कमजोर होगी जिससे यह स्वर्ण व्यवसाय बुरी तरीके से प्रभावित होगा - महासचिव अजय कुमार वर्मा 

वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अनुराग वर्मा

पटना २५ जुलाई। भारत सरकार द्वारा सर्राफा व्यवसाय पर हुईद लागू करने के बाद व्यवसाय में आभूषणों कि शुद्धता को लेकर काफी उहापोह कि स्थिति बानी हुई है। 

संयुक्त सर्राफा मोर्चा के लीगल एडवाइजर एस के मनीष ने बताया कि बिस द्वारा IS-1417 के नवीनतम सुधार द्वारा दिये गए अनुमति के अनुसार सर्राफा 99.50 के आभूषण बना सकते हैं। एक आभूषण आसानी से हॉलमार्क हो जाये इसके लिए आर्टिसन उसकी शुद्धता 0.30% ऊपर रखता है, हॉलमार्क सेंटर का भी निर्देश है। वर्ना आभूषण के हॉलमार्क के दौरान रिजेक्ट होने की संभावना अत्यधिक है। आइये अब इसके व्यव्हारिक मुश्किल की चर्चा करते हैं।

मुश्किल नंबर 1- 99.80 के आभूषण बनाने के लिए 99.50 के सोने में 99.999 का सोना मिलना पड़ेगा।

मुश्किल नंबर 2- 99.80 का टांका बनना दुष्कर कार्य है।

मुश्किल नंबर 3- अगर 99.80 का आभूषण बनाया गया एवम त्रुटि के कारण वह 99.50 का बन गया तो हॉलमार्क के दौरान रिजेक्ट होने की अत्यधिक संभावना। 

मुश्किल नंबर 4- अगर 99.80 का आभूषण बनाया एवम हॉलमार्क सेंटर के रीडिंग में वह 99.99 अर्थात KF आया तो सेंटर उसे रिजेक्ट करेगा क्योंकि  KF शुद्धता का आभूषण बनाना मना है। 

    श्री मनीष ने बताया कि अब निष्कर्ष यह निकलता है कि 99.50 के आभूषण बनाने का निर्देश एवम 99.99 के आभूषण न बनाने का आदेश। इस निर्देश एवम आदेश के बीच मात्र 0.10%  का अंतर है। इस 0.10% के बारीक अंतर को मेंटेन करते हुए आभूषण बनाना लोहे के चने चबाने जैसा है। शुद्ध सोने के आभूषण बनाने की अनुमति की खुशखबरी बीआईएस टेक्निकल कमिटी का एक कुशल मास्टर स्ट्रोक है। उन्होंने अनुमति दिया लेकिन नहीं दिया।  

अब देखने वाली बात यह है कि टेक्निकल कमिटी के सदस्यों द्वारा अनुमोदित नियम उपभोक्ताओं को कितना प्रभावित करते है और यह व्यवसाय कितनों दिनों तक प्रभावित रहेगा। 

     राष्ट्रीय स्वर्णकार मंच के महासचिव अजय कुमार वर्मा ने कहा कि ऐसे निर्देशों से उत्पादक एवं कारीगर दोनों भ्रम में रहेंगे कि क्या करें या क्या न करें क्यूंकि एक तरफ सरकारी नियमों का पालन असंभव है और न मानना गैरकानूनी, इससे उपभोक्ता भी भ्रमित रहेगा जिससे उपभोक्ता एवं रिटेलर के बीच विस्वास कि डोर कमजोर होगी जिससे यह स्वर्ण व्यवसाय बुरी तरीके से प्रभावित होगा।