सरकारी लापरवाही से चौपट हो रहा है मूक-बधिर बच्चों का भविष्य -राष्ट्रीय लोक दल


 वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा

लखनऊ २५ जुलाई। कोरोना महामारी से देश के 7 राज्यों के 90 हजार से अधिक मूक -बधिर बच्चों की पढ़ाई के बाधित होने के संबंध में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम मिश्रा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना महामारी से जूझते यह बच्चे पिछले 16 महीनों से पढ़ाई से पूर्णता वंचित हैं। इनके शैक्षणिक संस्थान व छात्रावासों में भी ताले पड़े हैं। सामान्य बच्चों के लिए तो देश भर में ऑनलाइन अध्ययन - अध्यापन का कार्य चल रहा है। किंतु इन मूक बधिर बच्चों के पास ना तो ऐसी कोई सुविधा है और ना ही सरकारों द्वारा ऐसा कोई विकल्प उपलब्ध कराया गया है। ऐसी मुसीबत के समय में मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता ना मिलने के कारण कई राज्यों के मूक-बधिर बच्चों के छात्रावास भी बंद पड़े हैं। अनुपम मिश्रा ने बताया कि पूरे देश में लगभग 2.68 करोड़ मूक-बधिर बच्चे हैं।

जिनमें से 1.21 करोड़ बच्चे निरक्षर हैं अर्थात 45% बच्चे निरक्षर हैं। अतः यदि केंद्र सरकार द्वारा समय रहते सभी राज्यों को इस हेतु आवश्यक दिशा -निर्देश के साथ ही आर्थिक सहायता व संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कराई गई तो ना केवल इन बच्चों का जीवन अंधकारमय होने का डर है बल्कि इनकी निरक्षरता भी 75% तक पहुंचने की संभावना है।

अनुपम मिश्रा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बड़ा ही परेशान करने वाला विषय है क्योंकि सरकारें अपने झूठे प्रचार तंत्र पर हज़ारों करोड़ों रुपये को पानी की तरह बहाती हैं। लेकिन जब बात भारत के भविष्य, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे विषयों से जुड़ी हो तो धरातल पर घोर लापरवाही के साम्राज्य के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता। दिव्यांग बच्चों की शिक्षा व्यवस्था की सर्वाधिक नाज़ुक हालत उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश ,बिहार,छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में है ।

राष्ट्रीय लोक दल सरकार से इन मूक-बधिर बच्चों की शिक्षा व छात्रावास व्यवस्था के तत्काल प्रभावी रूप से संचालित किए जाने की माँग करता है और सरकार से इन बच्चों को महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए समुचित व्यवस्था किए जाने का अनुरोध भी करता है ।