केंद्रीय व्यवस्था पर अखिलेश ने तंज कैसा


वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा

लखनऊ 4 जून। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड दोनों राज्यों में डबल इंजन यार्ड में खड़ा जंग खा रहा है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री जी के कारण लोकतंत्र चोटिल हुआ है और  उत्तराखण्ड में लोकतंत्र अस्थिरता का शिकार हो गया है। ऐसे में अच्छा होगा कि भाजपा की राजनीति की बेहतरी और दोनों राज्यों में स्थिरता की बहाली के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को  उत्तराखण्ड स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि वहां रोज-रोज नेतृत्व परिवर्तन के झंझट से मुक्ति मिल सके।

      भाजपा की कुनीतियों से  उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में बेरोजगारी में लगातार वृद्धि हो रही है। जबसे भाजपा सत्तारूढ़ हुई विकास अवरुद्ध है। दोनों राज्यों में मंहगाई और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। महिलाओं का सम्मान के साथ जीना दूभर हो गया है। दोनों प्रदेशों में किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। व्यापारी परेशान है। नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है।

      सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र चाहे पाताल में समा जाए, शीर्ष भाजपा नेतृत्व भी यहां मुख्यमंत्री बदलने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है। जनता में भाजपा सरकार के प्रति असंतोष बढ़ता जा रहा है। दोनों राज्यों में पलायन की समस्या समान रूप से गम्भीर है। कानून व्यवस्था में गिरावट और राजनीतिक तिकड़मबाजी के चलते दोनों राज्यों में न तो पूंजी निवेश हो रहा है और नहीं नए उद्योगधंधे लग रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में सरकारी निष्क्रियता और अकर्मण्यता के कारण लोग मौत के शिकार बनते गए। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। वस्तुतः भाजपा का लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रारम्भ से ही अनादर का भाव रहा है। लोकतंत्र का अहित करने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। झूठे वादों और नफरत फैलाने की उसकी राजनीति ने समाज को बांटा है और सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया है। जनता को गुमराह करके ही भाजपा सत्ता में आई है और आज भी वह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कामों को ही अपना बताकर भ्रम फैला रही है। अराजकता, अव्यवस्था और प्रशासनिक अकुशलता से  उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश दोनों की प्रगति व विकास अवरूद्ध हुआ है। जब तक उत्तर प्रदेश और  उत्तराखण्ड में भाजपा सत्तारूढ़ रहेगी तब तक स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।