डीजीपी ने शरीर सम्बन्धी अपराधो के रोकथाम हेतु और अधिक प्रभावी कार्यवाही के सम्बन्ध में दिये दिशा निर्देश


वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/ अजय कुमार वर्मा

लखनऊ 7 जनवरी। एच0सी0 अवस्थी, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा समस्त जोनल अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक/ पुलिस उपमहानिरीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, प्रभारी जनपद उ0प्र0 को शरीर सम्बन्धी अपराधों, वैमनस्यता/गुटबन्दी के कारण हत्या जैसे अपराधांे पर प्रभावी रोकथाम/अंकुश लगाने हेतु पूर्व में निर्गत परिपत्र एवं समय-समय पर दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए कार्य योजना तैयार कर और अधिक प्रभावी कार्यवाही के सम्बन्ध में निम्न दिशा निर्देश दिये गये:-

ऽ क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारियों द्वारा समस्त ग्रामो/मोहल्लो का भ्रमण कर इस बात की समीक्षा कर ली जाय कि कही किसी प्रकार की गुटबन्दी वैमनस्यता तो नहीं है। यदि वैमनस्यता/गुटबन्दी परिलक्षित होती है, तो तत्काल आवश्यक निरोधात्मक कार्यवाही की जाये।

ऽ हत्या के अभियोग में समस्त वाॅछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाये। फरार अभियुक्तों के विरूद्ध धारा 82/83 द0प्र0सं0 के तहत नियमानुसार कार्यवाही तथा आवश्यकतानुसार साक्ष्यों के आधार पर रासुका, गैंगेस्टर एक्ट व शस्त्रो के निस्त्रीकरण की कार्यवाही की जाये।

ऽ हत्या के ऐसे अभियोग जिनका अनावरण नहीं हुआ है, उनका क्षेत्राधिकारियों के निकट पर्यवेक्षण में अनावरण की कार्यवाही सम्बन्धित थाना प्रभारियों द्वारा सुनिश्चित की जाये।

ऽ हत्या सम्बन्धी अभियोगो की विवेचना का पर्यवेक्षण गहनता से करते हुये समय से आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया जाये। महत्वपूर्ण मामलो को फास्ट ट्रैक कोर्ट में लगवाकर प्रभावी पैरवी कराते हुये मा0न्यायालय से अभियुक्तो को सजा दिलायी जाय। पुराने रंजिश/विवाद में सक्रिय भाग लेने वाले, हिंसा का सहारा लेने वाले तथा अपराधिक तत्वो का सहयोग लेने वालो को चिन्हित कर नियमानुसार निरोधात्मक कार्यवाही की जाय।

ऽ अपराधिक छवि के व्यक्तियों पर सर्तक दृष्टि रखी जाय। यदि पूर्व में हत्या आदि  जघन्य अपराध में जमानत पर हो तो उनके जमानत निरस्तीकरण पर नियमानुसार कार्यवाही की जाये।

ऽ बीट प्रणाली को और प्रभावी बनाते हुये महत्वपूर्ण सूचनाओं के संग्रहण हेतु थाना प्रभारियों की जिम्मेदारी तय की जाये।

ऽ थाना क्षेत्र के प्रत्येक रंजिश/विवादो का अंकन ग्राम/मोहल्ला विवाद रजिस्टर में कर लिया जाय तथा स्थलीय निरीक्षण भी किया जाय। वरिष्ठ अधिकारियो द्वारा इसकी समीक्षा भी की जाये।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा समय-समय पर समीक्षा कर निर्देशो का कड़ाई से अनुपालन कराया जाय।