वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 14 जनवरी। बात प्रकृति की हो ऐसा लगता है साल 2021 एक निर्णायक वर्ष साबित होगा। निर्णायक इसलिए क्योंकि इस साल दुनिया भर की सरकारें और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय संस्थाएं प्रकृति को हो रहे नुकसान को रोकने और बुरे असर को पलटने के लिए एकजुट हो रही हैं।
इस क्रम में बीती 11 जनवरी को फ्रांस में वन प्लैनेट समिट का आयोजन हुआ। इस समिट का उद्देश्य था जैव विविधता के नुकसान के मुद्दे को राजनीतिक प्राथमिकता बनाना और इस नुकसान की भरपाई के लिए ठोस समाधानों का प्रस्ताव करना।
दरअसल वन प्लैनेट समिट में हाई अम्बिशन कोअलिशन फॉर नेचर एंड पीपल नाम के 50 देशों के एक गुट ने पृथ्वी की सतह के एक तिहाई हिस्से को संरक्षित करने की प्रतिज्ञा है। लेकिन विशेषज्ञ कह रहे हैं कि 30 प्रतिशत नहीं, ज़रूरत 50 फीसद के संरक्षण की है। पचास देशों के इस गुट में यूके और छह महाद्वीपों के देश शामिल हैं। फ्रांस में आयोजित वन प्लैनेट समिट में हालाँकि चर्चा का मुख्य बिंदु जैव विविधता था लेकिन इन मुद्दों की तरलता के चलते समिट में बातें जैव विविधता, मरुस्थलीकरण और जलवायु मुद्दों पर केन्द्रित हो गयीं क्योंकि यह मुद्दे परस्पर जुड़े हुए हैं। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आवाज़ नामक संस्था के कैम्पेन डायरेक्टर, ओस्कर सोरिया, कहते हैं, “दुनिया के नेता अब यह महसूस कर रहे हैं कि जैव विविधता का नुकसान न केवल हमारी खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह हमें महामारी की चपेट में ले रहा है और हमारी जलवायु को स्थिर करने के लिए किसी भी प्रगति को कमजोर करेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें 2030 तक जैव विविधता के नुकसान को दूर करने के लिए तीस प्रतिशत नहीं, कम से कम आधे ग्रह की रक्षा करने की आवश्यकता है। और ऐसा तब ही सम्भव है जब स्थानीय लोगों का साथ हो, उनसे परामर्श किया जाये, उनके अधिकारों का सम्मान हो, और उनके अनुभवों को सुना जाये।”
वहीँ वन अर्थ संस्था के मैनिजिंग डायरेक्टर, कार्ल बुर्कार्ट कहते हैं, "हमें दुनिया के शेष प्राकृतिक आवास को संरक्षित और बहाल करना चाहिए, जो पृथ्वी का 50% हिस्सा है। इसके अलावा, दुनिया को तेजी से स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा और पुनर्योजी कृषि प्रणालियों की ओर बढ़ना चाहिए। और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें मूलनिवासियों के भूमि अधिकारों को बनाए रखना होगा।” इसके साथ, समिट में नेचर रिलेटेड फाइनेंसियल डिसक्लोज़र नाम की एक टास्क फ़ोर्स भी लांच की गयी। इस टास्क फ़ोर्स से कंपनियों को जलवायु और जैव विविधता लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। लक्ष्य जैव विविधता पदचिह्न को मापने के लिए वैश्विक उपकरण स्थापित करना है। एक अनौपचारिक कामकाजी समूह, जिसे विश्व बैंक समर्थन करता है, कार्यबल के कार्यस्थल और शासन को परिभाषित करने के लिए प्रारंभिक कार्य कर रहा है। इस कार्यबल के लिए सफलता का दूसरा तत्व प्रकृति जोखिम और प्रभाव के उपयुक्त मीट्रिक विकसित करने की क्षमता होगी।
एक और महत्वपूर्ण बात जो इस समिट को ख़ास बनाती है वो है वन हेल्थ नाम की पहल जिसके अंतर्गत भविष्य की महामारियों से बचने के लिए शोध किये जायेंगे। फ़्रांस और जर्मनी के सहयोग से बना यह कार्यक्रम ख़ासा महत्वपूर्ण है। यह पहल चिकित्सा, पशुचिकित्सा, और संरक्षण समुदायों के बीच पुल और निर्माण पर जोर देती है, जो परंपरागत रूप से एक साथ काम नहीं करते हैं। वहीँ अफ्रीका की तरफ से इस समिट में ग्रेट ग्रीन वाल प्रोग्राम का आगाज़ हुआ जिसके अंतर्गत सहारा रेगिस्तान के आसपास मरुस्थालिकरण से निपटने के लिए 14 बिलयन डॉलर की राशि जुटाने का काम होगा।
ऐसी ही तमाम पहल हुईं इस समिट में जो पर्यावरण संरक्षण की वैश्विक कोशिशों की दशा और दिशा बदल सकती हैं।