वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 24 नवम्बर। लव - जिहाद से सम्बंधित योगी सरकार का चिर प्रतीक्षित अध्यादेश आज कैबिनेट में पास हो गया। इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश कैबिनेट 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' लेकर आई है। जो उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है।100 से ज्यादा घटनाएं सामने आई थी जिनमें ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इसके अंदर छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इसपर कानून बनाना एक आवश्यक नीति बनी, जिसपर कोर्ट के आदेश आए हैं और आज योगी की कैबिनेट अध्यादेश लेकर आई है।
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सपरिवर्तन प्रतिवेष अध्यादेश 2020 के मुख्य बिंदु निम्नवत है -
- ऐसे धर्म परिवर्तन को एक अपराध की श्रेणी में लाकर प्रतिष्ठित करेगा जो मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक , प्रलोभन या अन्य किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए किया जा रहा हो।
- यह अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के संबंध में ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए वृहद दंड का प्रावधान करेगा
- सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में कतिपय सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त करके उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी ।
- किसी एक धर्म से अन्य धर्म में लड़की के धर्म में परिवर्तन से एकमात्र प्रयोजन के लिए किए गए विवाह पर ऐसा विवाह सुनने की श्रेणी में लाया जा सकेगा।
- अध्यादेश में मिथ्या निरूपण, बल , प्रलोभन या किसी कपट पूर्ण माध्यम द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन हेतु विवश किए जाने पर उस कृत्य को एक सज्ञेय अपराध के रूप में मानते हुए संबंधित अपराध गैर जमानती प्रकृति का होने और उक्त अभियोग को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बताने जाने का प्रावधान किया जा रहा है ।
- उपबधो का उल्लंघन करने हेतु कम से कम 1 वर्ष अधिकतम 5 वर्ष की सजा जुर्माने की राशि ₹15000 से कम नहीं होगी का प्रावधान किया गया है , जबकि अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के संबंध में धारा 3 के उल्लंघन पर कारावास कम से कम 3 वर्ष अधिकतम 10 वर्ष तक की होगी और जुर्माने की राशि ₹25000 से कम नहीं होगी , सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में कारावास 3 वर्ष से कम नहीं किंतु 10 वर्ष तक हो सकेगा और जुर्माने की राशि ₹50000 से कम नहीं होगी।
- अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक होने पर भी प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व सूचना देनी होगी, इसका उल्लंघन किए जाने पर छह माह से 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माने की राशि ₹10000 से कम नहीं होने का प्रावधान किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सपरिवर्तन प्रतिवेष अध्यादेश 2020 कैबिनेट में पास