मुख्यमंत्री द्वारा किसानों पर दैवीय उत्पीड़न पर कोई भी चिंता व्यक्त नहीं की गयी - सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी


वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 17 नवंबर।  राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि रविवार की रात में अचानक आयी आंधी और बैमौसम बारिश ने किसानों की नींद उड़ा दी है। बारिश के परिणाम स्वरूप खेतों में तैयार खड़ी तथा खलिहान में पड़ी धान की फसल घर तक लाना मुश्किल हो गया है। दलहन और तिलहन को भी काफी नुकसान होने की आशंका है। 
        प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री द्वारा किसानों के इस दैवीय उत्पीड़न पर कोई भी चिंता व्यक्त नहीं की गयी है जिससे यह स्पष्ट है कि किसानों के नाम पर थोथी राजनीति करने वाली भाजपा को किसानों के दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है।
       श्री त्रिवेदी ने कहा कि किसान की पराली का धुआं दिल्ली दरबार तक दिखाई पड़ता है और उसके खिलाफ तुरंत एफ0आई0आर0 दर्ज करके गिरफ्तारी कर ली जाती है परन्तु जब दैवीय आपदा अथवा किसी अप्रत्याशित कारण से किसानों की फसल बर्बाद होती है अथवा जल जाती है तो उसका धुंआ तहसील तक भी नहीं दिखाई पड़ता। उन्होंने कहा कि इन डबल इंजन की सरकारों की यही डबल नीति है कि कृषि प्रधान देष में देष के प्रधानसेवक की देख रेख में अन्नदाता और अर्थव्यवस्था में विषेष योगदान करने वालों के साथ भरपूर समर्थन लेकर भी इस प्रकार की अनदेखी होना एक आश्चर्यजनक विडम्बना है। प्रदेश सरकार के तानाषाही रवैया का ही यह परिणाम है कि राजधानी के पड़ोसी जनपद बाराबंकी के हैदरगढ़ क्षेत्र में पराली जलाने के मुकदमें के डर से किसान को हार्टअटैक हुआ और असमय उसकी मृत्यु हो गयी है।
      रालोद प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने मांग करते हुये कहा कि आंधी और बेमौसम बरसात से हुये किसानों के नुकसान का आकलन जिलाधिकारियों के माध्यम से कराकर तत्काल मुआवजा दिया जाय साथ ही जनपद बाराबंकी के 28 वर्षीय नौजवान किसान प्रदीप सिंह के परिजनों को एक करोड रूपये मुआवजे के रूप में तत्काल उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने यह भी मांग की कि पराली के समुचित निस्तारण के लिए ग्राम प्रधान स्तर पर जागरूकता फैलाने की जिम्मेंदारी सौंपी जाय तथा कम से कम एक वर्ष तक सरकार यह कार्यक्रम सतत रूप से चलाया जाय और कानूनी कार्यवाही से किसानों को मुक्त किया जाय।