राम-नाम की तरह ही श्रीराम मन्दिर भारतीय संस्कृति और यहां की सांस्कृतिक विरासत का द्योतक होगा - नरेन्द्र मोदी


वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा 
अयोध्या 05 अगस्त। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के भूमिपूजन एवं कार्यारम्भ समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत, भगवान भास्कर के सान्निध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम इतिहास रच रहा है। पूरा भारत राममय है, हर मन दीपमय है। उन्होंने कहा कि ‘राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम’। सदियों का इंतजार समाप्त हो रहा है। बरसों तक रामलला टेण्ट में रहे थे, लेकिन अब भव्य मन्दिर बनेगा। उन्होंने कहा कि गुलामी के कालखण्ड में आजादी के लिए आन्दोलन चला है। जिस प्रकार 15 अगस्त का दिन उस आन्दोलन का और शहीदों की भावनाओं का प्रतीक है, ठीक उसी तरह राम मन्दिर के लिए कई-कई सदियों तक पीढ़ियों ने प्रयास किया है। आज का यह दिन उसी तप-संकल्प का प्रतीक है। राम मन्दिर के आन्दोलन में अर्पण-तर्पण-संघर्ष-संकल्प था।



       प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर की निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का महोत्सव है। भारत आज भगवान भाष्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीर भवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, समेतशिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर साहब से पटना साहिब तक, अण्डमान से अजमेर तक, लक्षदीप से लेह तक आज पूरा भारत राममय है।



      प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के लोगों के सहयोग से राम मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जैसे पत्थर पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बना, वैसे ही घर-घर से आई शिलाएं श्रद्धा का स्त्रोत बन गई हैं। ये न भूतो-न भविष्यति है। उन्होंने कहा कि भारत के आस्था और सामूहिकता की अमोघ शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन और शोध का विषय है। श्रीराम का चरित्र सत्य पर अडिगता का प्रतीक है। श्रीराम सम्पूर्ण हैं। हम सबके प्रकाष स्तम्भ हैं। श्रीराम ने सामाजिक समरसता को शासन की आधारषिला बनाया। उन्होंने प्रजा से एक समान प्रेम किया। गरीबों और दीन-दुखियों पर विषेष कृपा की। जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं है, जहां श्रीराम प्रेरणा न देते हों। आस्था में राम हैं, आदर्षों में राम हैं, दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्षन में राम हैं। बापू के भजनों में भी राम हैं। तुलसी के राम सगुण, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण हैं। राम किसी न किसी रूप में रचे-बसे हैं। राम सबके है, सबमें राम हैं।



      प्रधानमंत्री ने विष्वास व्यक्त किया कि राम-नाम की तरह ही श्रीराम मन्दिर भारतीय संस्कृति और यहां की सांस्कृतिक विरासत का द्योतक होगा। यह युगों-युगों तक मानवता को प्रेरणा देता रहेगा। श्रीराम का सन्देष विष्व तक पहुंचे, यह वर्तमान और भावी पीढ़ियों की जिम्मेदारी है। श्रीराम हम सभी के भीतर हैं, घुल-मिल गए हैं। भगवान राम की शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं और क्या कुछ नहीं हुआ। अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मन्दिर बनने का काम शुरू हुआ है।



       प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। कोरोना वायरस से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच किया गया है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था, जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था और हर किसी की भावना का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये मन्दिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा, ये मन्दिर हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा और करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। आने वाली पीढ़ियों को ये मंदिर संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे। यहां के लोगों के लिए अवसर बढ़ेंगे। अयोध्या में बनने वाला राम मन्दिर भारतीय संस्कृति का दर्शन देगा, अनंतकाल तक मानवता को प्रेरणा देगा। उन्होंने कहा कि देश में जहां भी प्रभु राम के चरण पड़े हैं, वहां पर राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। भव्यता और दिव्यता को बढ़ाने के लिए कई ऐतिहासिक कार्य हो रहे हैं। महात्मा गांधी का रामराज्य का सपना था। वर्तमान सरकार उसे साकार करने की दिषा में कार्य कर रही है। सबकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विष्वास’ के सिद्धान्त पर कार्य कर रही है। इससे आत्मविष्वास से भरे और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा। भारत के लिए श्रीराम का सन्देष आगे बढ़ना है। देष आगे बढ़ेगा। राम का चरित्र प्रेरणा और मार्गदर्षन का कार्य करता रहेगा। आज भारत का समाज आदर्षों के साथ आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि श्रीराम का आदर्श है कि बच्चों, बुजुर्ग और वैद्यों की रक्षा करनी चाहिए, जो हमें कोरोना ने भी सिखा दिया है। साथ ही अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही शान्ति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है। श्रीराम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते और सोचते हैं। राम परिवर्तन-आधुनिकता के पक्षधर हैं।
      प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के संदेश से राम मन्दिर की शिलाओं को जोड़ना है। जब-जब राम को माना है, विकास हुआ है और जब भी हम भटके हैं, विनाश हुआ है। हमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है, सबके साथ से और विश्वास से ही सबका विकास करना है। कोरोना के कारण जैसे हालात हैं, श्रीराम के द्वारा दिया गया मर्यादा का रास्ता जरूरी है।
      प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं, तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केन्द्र भी रही है। राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है। जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है, जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं। भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं।
      प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम का अद्भुत व्यक्तित्व, उनकी वीरता, उदारता, सत्यनिष्ठा, निर्भीकता, धैर्य, दृढ़ता और उनकी दार्शनिक दृष्टि युगों-युगों तक प्रेरित करते रहेंगे। आज भी भारत के बाहर कई ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा प्रचलित है। आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मन्दिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी।
      प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त का दिन आजादी के लिए बलिदान का प्रतीक है, स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है। राम मन्दिर के लिए जिस अखण्ड, अविरल, एकनिष्ठ प्रयास किए गए, आज का दिन उसी तप और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि बलिदान और संयम से राम मन्दिर निर्माण का स्वप्न साकार हो रहा है। इसके लिए मैं 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से नमन करता हूं। आज सम्पूर्ण सृष्टि की शक्तियां यह सब देख रही हैं। राम हमारे मन के भीतर रमे हुए हैं। प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर देखते हैं। राम हमारी संस्कृति का आधार हैं। वे भारतीय संस्कृति की मर्यादा हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण से इस क्षेत्र का अर्थतंत्र बदलेगा। हर क्षेत्र में अवसर बढ़ेंगे। पूरी दुनिया से लोग आएंगे और प्रभु श्रीराम और माता जानकी का दर्षन करेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीराम मन्दिर का निर्माण राष्ट्र को जोड़ने के साथ-साथ नर को नारायण, वर्तमान को अतीत और लोक को आस्था से, स्व को संस्कार से जोड़ने का कार्य करेगा। इसका निर्माण करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। यह न्यायप्रिय भारत की अनुपम भेंट है। आज नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा, बल्कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है। देष भर के लोगों के सहयोग से यह पुण्य कार्य प्रारम्भ हुआ। घरों में पूजित षिलाएं, ऊर्जा का स्रोत बनीं।
     प्रधानमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य स्थल पर विधिपूर्वक भूमि पूजन किया। उन्होंने भगवान श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर की शिला रखकर भूमि को प्रणाम किया। उन्होंने मन्दिर के प्रांगण में पारिजात के पौधे का रोपण किया। प्रधानमंत्री जी ने इस अवसर पर डाक टिकट तथा रामायण विश्व महाकोश पर विशेष आवरण जारी किया। डाक टिकट में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का माॅडल दर्शाया गया है। प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री जी द्वारा कोदण्ड श्रीराम की प्रतिमा भेंट की गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण कार्य के शुभारम्भ की शिलापट्टिका का अनावरण भी किया। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री जी ने हनुमानगढ़ी पहुंचकर पूजन-अर्चन किया। तत्पश्चात प्रधानमंत्री जी भगवान श्रीरामलला विराजमान के दर्शन-पूजन के लिए गये। उन्होंने भगवान श्रीरामलला विराजमान को साष्टांग प्रणाम करने के उपरान्त उनका दर्शन-पूजन किया।
      उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत व अभिनन्दन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा और मार्गदर्शन से आज यह शुभ अवसर हम सभी के सामने है। सम्पूर्ण विश्व में हमारे देश भारत की एक सुदृढ़ लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में पहचान है। प्रधानमंत्री ने दिखा दिया है कि संविधान सम्मत ढंग से समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है। प्रधानमंत्री जी की सूझ-बूझ और दूरदर्षिता से हम सबको यह अवसर प्राप्त हो रहा है। हम सभी गौरवान्वित हैं। विगत 03 वर्षों से अयोध्या में ‘दीपोत्सव’ का आयोजन अयोध्या के साथ जुड़ने का सन्देष देता है। अयोध्या मंे विकास के कार्य तेजी से हुआ है। स्वदेष दर्षन योजना के तहत घाटों का सुन्दरीकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि आज का दिन भावनात्मक होने के साथ-साथ उमंग और उत्साह का दिन है।
       मुख्यमंत्री ने कहा कि वैष्विक महामारी कोविड-19 के प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वर्तमान सरकार रामराज्य की अवधारणा को अंगीकार करते हुए जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर बगैर किसी भेदभाव के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विष्वास’ के मंत्र पर कार्य कर रही है। भूमि पूजन व कार्य शुभारम्भ के अवसर पर उत्तर प्रदेश के इस धराधाम पर, सात पवित्र पुरियों में से एक अवधपुरी में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस शुभ घड़ी हेतु 500 वर्षों की एक लम्बी संघर्ष साधना रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सदी के बाद आज भारतवासियों का संकल्प पूरा हो रहा है। देश में लोकतांत्रिक तरीकों के साथ ही मन्दिर का निर्माण किया जा रहा है। इस घड़ी की प्रतीक्षा में कई पीढ़ियां गुजर चुकी हैं। पूज्य संतों, अनेक महापुरुषों ने अनेक वीरांगनाओं ने अपना बलिदान दिया।
      मुख्यमंत्री ने कहा कि उन सबको किसी न किसी रूप में हम आने वाले समय में सहभागी बनाने हेतु कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे, ताकि उनकी प्रत्यक्ष अनुभूति अयोध्या में हो सके और अवधपुरी को जो गौरव मिलना चाहिए उसे हम आगे बढ़ा सकें। भगवान राम का यह भव्य और दिव्य मन्दिर, प्रभु श्री राम की यश व कीर्ति के अनुरूप भारत की यश व कीर्ति को भी देश व दुनिया में आगे बढ़ाने का कार्य करेगा।
कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ0 मोहनराव भागवत एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज ने भी सम्बोधित किया।
    इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल सहित 36 परम्पराओं के साधु-संत व अन्य महानुभाव उपस्थित थे।