वेबवार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 11 अगस्त। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी ने देश में निरन्तर हो रहे लोकतांत्रिक मूल्यों के ह्रास के प्रति चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि जिस प्रकार किसी भी समाज को स्थिरता प्राप्त करने के लिए समानता और विभिन्नता नामक दोनों ही तत्वों का महत्व है उसी प्रकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।यदि विपक्ष की आवाज को महत्व देने के बजाय उसे दबाने के प्रयास होने लगें तो निश्चित ही लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करने का षड़यंत्र ही कहा जायेगा।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज जनता के दुःख- दर्द की आवाज होती है।यदि सत्ता पक्ष उसे अनसुनी करता है तो यह स्वतः प्रमाणित हो जाता है कि सत्ता पर काबिज लोगों को जनता की पीडा़ से कोई सरोकार नहीं है।वर्ष 2014 में स्पष्ट बहुमत तथा उसके बाद डबल इंजन की पूर्ण बहुमत की सरकारें बनाने में देश के चहुँमुखी विकास की जन भावना छिपी हुई थी परन्तु देश के कोने कोने में निरंकुशता और तानाशाही के दर्शन हो रहे हैं।साम्प्रदायिक उन्माद, अलगाव वाद,वर्गवाद और क्षेत्रवाद का चारों ओर बोलबाला है।विपक्ष की आवाज कुचलने के प्रयास होते हैं।उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में सजग प्रहरी की भूमिका निभाते हुए न्यायपालिका और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रिन्ट मीडिया ने समय-समय पर लोकतंत्र की रक्षा की है।यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ बडे़ चैनल लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाने में पूर्ण रूप से असफल हैं और इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।प्रिन्ट मीडिया और न्यायपालिका के प्रति हमारा देश अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए ऋणी रहेगा।
रालोद प्रवक्ता ने देश की संविधान सभा के सदस्यों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन महान आत्माओं का हमारा देश ऋणी है जिन्होंने अनेक वर्षों तक कठिन परिश्रम करके हमें ऐसा संविधान दिया जो सम्पूर्ण विश्व के लिए अनुकरणीय है।उन्होंने आशान्वित होते हुए कहा कि लोकतंत्र के चारों स्तम्भ आत्मावलोकन करेंगे और सजग प्रहरी की भूमिका निभाते हुए भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना साकार करेंगे।।
देश में निरन्तर हो रहे लोकतांत्रिक मूल्यों के ह्रास के प्रति चिंतनीय - सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी