ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के नौंवे दिन नौ कवियित्रियों ने सजाया मंच को - पायल सोनी


वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
वाराणसी 22 मई। प्रमिला देवी फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी के नौंवे दिन वट सावित्री के पावन पर्व पर नौ महिला कवियित्रियों ने मंच की शोभा बढ़ाई। 
       कार्यक्रम का शुभारंभ रांची झारखंड से मीरा सोनी ने किया। उन्होंने अपनी रचना 'घर के अधूरेपन को पूरा करती बेटियाँ, दोनों कुलों को रौशन करती हैं बेटियाँ...' के जरिए बेटियों के महत्व को बताया। कवयित्री अर्चना सिंह की रचना 'कब तक एक बेटे की खातिर, अपनी कोख को कब्र बनाओगी...' को खूब प्रशंसा मिली। अर्चना पांडेय ने सुनाया 'मैं धरती हूँ धारण करती, सृजन जगत का सुख उल्लास...!'
       कवयित्री साधना निगम ने गजल 'चाहा जो दो पल जी लूँ ज़रा, तो गुनाह किया क्या.. वीरानियों से परे एक ख्वाब, सजाया तो गुनाह किया क्या...' सुना खूब वाहवाही लूटी। 
       आर्यमहिला की वरिष्ठ अध्यापिका केसर बाला ने 'ज्ञान विज्ञान पराभाव भी निस्तेज हुआ, अदृश्य कॅरोना के विदेशी प्रादुर्भाव से...' सुनाया। चंडीगढ़ पंजाब से उषा पाण्डेय 'कनक की रचना 'कोरोना से युद्ध का, नहीं बना औजार..अब तो खेनी है हमें, इसमें ही पतवार...' को भी श्रोताओं ने खूब सराहा।
       अंत में डॉ. रेशम खातून ने अपनी रचना 'जितनी भी आ जाएं मुश्किलें, हिम्मत से लड़ाई लड़ लेना... कोरोना को हराकर तुम, इंसानियत की जंग जीत लेना...!'  गोष्ठी को विराम दिया। कवयित्रियों का स्वागत एवं आभार संस्था की अध्यक्ष पायल सोनी ने किया।