भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सुगम्य चुनावों पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा   
लखनऊ 20 दिसंबर। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कल नई दिल्ली में सुगम्य चुनावों पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य आयोग द्वारा दिव्यांगजनों के लिए चुनाव सम्बंधी प्रक्रियाओं को सुगम्य बनाये जाने हेतु अब तक उठाये गये कदमों की समीक्षा करना तथा उन कदमों पर विचार करना जो सुगम्य प्रक्रियाओं हेतु आवश्यक है। 
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि दिव्यांगता एक ऐसी समस्या है जिसका निराकरण स्वयं संबंधित व्यक्ति तथा उसके परिवार द्वारा किये जाने की आवश्यकता है। उन्हांेने कहा कि सुगम्यता एक ऐसी समस्या है जिसके लिए संस्थागत उपाय करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य इस संदर्भ में अभीष्ट स्तर की जागरूकता पैदा करना तथा उच्चतम स्तर का हस्तक्षेप सुनिश्चित करना है। इसके लिए बूथ स्तर के अधिकारियों से लेकर चुनाव आयोग तक सभी व्यक्तियों को मिल-जुलकर काम करना होगा। जनवरी 2018 में सुगम्य चुनावों के सम्बंध में निर्णय लिया गया तथा सामान्य चुनाव 2019 के लिए इस निर्णय को दिशा-निर्देशक विषय के रूप में अपनाया जाय। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्रयास एवं हस्तक्षेप इस ढंग से करने होंगे जिससे सुगम्यता से जुड़ी समस्याओं का निराकरण हो सके, तथा हमारे चुनाव सच्चे अर्थों में पूर्ण समावेशी बन सकें। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि हाल ही में झारखण्ड में हुए चुनावों के दौरान 90 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगजनों ने मतदान किया। उन्होंने कहा कि नामांकन से लेकर चुनावों तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को दिव्यांगजनों के लिए सुगम बनाना आवश्यक है तथा ब्लाक लेवल अधिकारियों से लेकर चुनाव आयोग स्तर तक सभी को इन समस्याओं के निदान के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। 
चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारियों तथा जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किये गये सभी प्रयास चुनाव आयोग के लिए अत्यधिक सहायक सिद्ध हुए लेकिन अभी भी और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। हमें अपने चारों ओर देखना होगा और यह पता लगाना होगा कि अब आगे और क्या किया जाना है। इसी के आधार पर प्रभावी उपाय खोजे जा सकते हैं जिसके फलस्वरूप उपयुक्त परिवर्तन लाया जा सकता है। त्रिफलकीय रणनीति का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि आंकड़ों की बेंच मार्किंग की जानी चाहिए तथा इसे सुगम्यता सूचकांक के मानकों के आधार पर मूल्यांकित करने के साथ ही चुनाव आयोग तथा मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के वेबसाइटों को निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप बनाया जाय एवं इनका निरंतर मूल्यांकन किया जाय। इस रणनीति को अपनाने से हमें भविष्य में क्या करना है उसका अनुमान लगाकर उस दिशा में प्रयास करना होगा।
चुनाव आयुक्त सुशील चन्द्रा ने सिविल सोसायटी संगठनों तथा चुनाव अधिकारियों द्वारा क्षेत्र स्तर पर किये गये प्रयासों की सराहना की। उन्होंने दिव्यांगजनों के चुनावी अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी सिविल सोसायटी संगठनों तथा संबंधित स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग हमारे लिए दिव्यांग मतदाताओं को जनतंत्र का अटूट हिस्सा बनाने की दिशा में अत्यधिक जरूरी है। 
इस अवसर पर अपने संबोधन में महासचिव उमेश सिन्हा ने महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए वांछित संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता पर बल दिया तथा चुनावी तंत्र, सिविल सोसायटी संगठनों तथा अन्य दावेदारों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने हाल ही में झारखण्ड में हुए चुनाव के दौरान 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों तथा दिव्यांगजनों के लिए आरम्भ की गयी पोस्टल बैलेट की सुविधा पर भी प्रकाश डाला। उप निर्वाचन आयुक्त चन्द्रभूषण कुमार ने देशभर से आये दावेदारों द्वारा दिये गये सुझावों के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इन सुझावों से भावी चुनावों की प्रक्रिया और अधिक समावेशी बनायी जा सकेगी। कार्यशाला में भाग लेने वाले संगठनों के प्रति उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने विशेषकर चुनाव आयोग की सुगम्यता परामर्शदात्री सुश्री स्मिथा सदासिवन की सराहना की जिनके प्रयासों से यह विचार-विमर्श और अधिक फलदायक हुआ। 
चुनाव आयोग द्वारा दिव्यांगजनों की सुगम्यता के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। जिनमें मुख्य रूप से दिव्यांग मतदाताओं की व्यापक मैपिंग, परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना, विशेष स्वयंसेवक, रैम्प, व्हीलचेयर, सांकेतिक भाषा, मतदान केन्द्रों पर ब्रेल लिपि में ईवीएम की सुविधा तथा दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल मतपत्र जैसी सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं शामिल हैं। 
इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, जिला निर्वाचन अधिकारी के अलावा सिविल सोसायटी संगठनों, शासकीय संगठनों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। सामूहिक कार्य तथा विचार-विमर्श के लिए आयोजित तकनीकी सत्र में सम्पूर्ण भारत के दावेदारों ने प्रतिभाग किया। इस सत्र में चार विषय दिये गये यथा मतदाता पंजी में चुनावी पंजीकरण एवं मैपिंग, दिव्यांगजनों तथा वरिष्ठ नागरिकों को मतदान केन्द्रों पर दी जाने वाली सुविधाएं, सुगम्य मतदाता शिक्षा एवं संचार सम्बंधी रणनीतियों तथा सुगम्य इलेक्शन में प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल थे। 
इस अवसर पर आयोग द्वारा ''क्रासिंग द बैरियर-आई गाॅट इन्क्ड'' नाम की एक पुस्तिका का विमोचन किया गया। जिसमें मतदाताओं द्वारा तमाम बाधाओं को पार करते हुए जनतंत्र के सर्वाधिक विशाल पर्व में भाग लेने सम्बंधी अनुभवों को अभिलेखीत किया गया है। - सी0एल0 सिंह/अशोक कुमार