मंत्रिपरिषद ने ‘इन्वेस्ट यू0पी0’ उत्तर प्रदेश निवेश प्रोत्साहन एवं सुविधा एजेन्सी के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी

वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 10 जून। मंत्रिपरिषद ने ‘इन्वेस्ट यू0पी0’ उत्तर प्रदेश निवेश प्रोत्साहन एवं सुविधा एजेन्सी ;न्जजंत च्तंकमेी प्दअमेजउमदज च्तवउवजपवद - थ्ंबपसपजंजपवद। हमदबलद्ध के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ‘इन्वेस्ट यू0पी0’ की स्थापना उद्योग बन्धु को अपग्रेड व सुदृढ़ करते हुए तथा इस नयी संस्था के लिए प्रोफेशनल मैन पावर की व्यवस्था करते हुए एक सम्यक ढांचा बनाया जाएगा। 
        इस एजेन्सी के ढांचे में गवर्निंग बोर्ड एवं संचालन समिति होंगे। गवर्निंग बोर्ड की अध्यक्षता मुख्यमंत्री जी द्वारा की जाएगी। कार्यकारी स्तर पर निर्देश देने, अन्तर्विभागीय समन्वय बनाने तथा अनुश्रवण हेतु अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में संचालन समिति कार्य करेगी। एजेन्सी के अन्तर्गत जहां एक ओर निवेश, मित्र, ईज़ आॅफ डूइंग बिजनेस, इन्सेन्टिव मैनेजमेंट तथा अन्तर्विभागीय समन्वय के कार्य-कलाप विभिन्न विभागों के सहयोग से किए जाएंगे, वहीं दूसरी ओर निवेश प्रोत्साहन, ब्राण्डिंग तथा पब्लिक रिलेशंस व इकोनाॅमिक तथा मार्केट इन्टेलीजेन्स एण्ड रिसर्च के कार्य-कलाप निजी क्षेत्र से लिये गये सम्बन्धित औद्योगिक सेक्टर के विशेषज्ञों की टीम द्वारा एक चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर के नेतृत्व में किये जाएंगे।
         इस संस्था का मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रदेश सरकार का एक ऐसा पूर्णकालिक वरिष्ठ अधिकारी होगा, जिसके अधीन चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर को कार्य करने में आवश्यक आॅटोनामी बनी रहे, परन्तु साथ-साथ विभिन्न सरकारी विभागों से निवेश प्रोत्साहन हेतु आवश्यक समन्वय भी स्थापित हो।
         इन्वेस्टमेंट प्रमोशन तथा फैसिलिटेशन के कार्य-कलापों को एक ही संस्था में इस सुविचारित मत के साथ रखा जा रहा है कि सम्पूर्ण निवेश साइकिल के विभिन्न चरणों में आउटकम प्राप्त करने के लिए एकाउन्टबिलिटी सुनिश्चित की जा सके और निवेश साइकिल के विभिन्न चरणों में जो अनुभव प्राप्त होते हैं उनको एक साथ संस्थागत किया जा सके। निवेश प्रोत्साहन के क्रिया-कलापों को यदि अलग रखा जाता है, तो परिणाम आधारित जवाबदेही सुनिश्चित नही की जा सकेगी। इस संस्था के संचालन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विभिन्न स्तरों पर परिणाम आधारित जवाबदेही रहे।
          ‘इन्वेस्ट यू0पी0’ द्वारा विभिन्न सेक्टरों के महत्वपूर्ण विभागों को प्रोफेशनल सहायता उपलब्ध करायी जा सकेगी। यह भी प्रस्तावित है कि लखनऊ के साथ-साथ प्रदेश के महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों व मण्डलीय मुख्यालयों में भी इस संस्था के प्रतिनिधि प्राधिकरणों को तथा मण्डलायुक्तों को निवेश प्रोत्साहन तथा फैसिलिटेशन के क्षेत्र में प्रोफेशनल सहायता प्रदान करेंगे और निवेशकों को आवश्यक ग्राउण्ड सपोर्ट भी प्रदान की जा सकेगी।
            वर्तमान परिदृश्य में प्रदेश में औद्योगिक विकास को त्वरित गति देने तथा उद्यमी को न्यूनतम अवधि में विभिन्न सुविधाएं, स्वीकृतियां/अनापत्तियों/ अनुमोदनादि उपलब्ध कराने, आवश्यक औपचारिकताओं को उनके द्वारा शीघ्र पूर्ण किये जाने में उनकी यथोचित सहायता करने, उद्यमी की प्रक्रियात्मक/नीतिगत समस्याओं के निराकरण हेतु एवं जटिल प्रक्रियाओं को समय-समय पर सरलीकरण कर प्रदेश की आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश निवेश प्रोत्साहन एवं सुविधा एजेन्सी ;न्जजंत च्तंकमेी प्दअमेजउमदज च्तवउवजपवद - ंिबपसपजंजपवद ।हमदबलद्ध का गठन किया जा रहा है।
‘उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017’, ‘निजी औद्योगिक पार्काें की स्थापना हेतु प्रोत्साहन योजना’, ‘उ0प्र0 वेयरहाउसिंग तथा लाॅजिस्टिक्स नीति-2018’ में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी - 
 
       मंत्रिपरिषद ने दिनांक 13 जुलाई, 2017 एवं दिनांक 27 फरवरी, 2018 के शासनादेशों द्वारा निर्गत उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के प्रस्तर-3.2.3, शासनादेश दिनांक 20 जुलाई, 2018 द्वारा निर्गत निजी औद्योगिक पार्काें की स्थापना हेतु प्रोत्साहन योजना के प्रस्तर-2.4.1 एवं प्रस्तर-7.1.1, एवं शासनादेश दिनांक 27 फरवरी, 2018 द्वारा निर्गत ‘उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग तथा लाॅजिस्टिक्स नीति-2018’ के प्रस्तर-3.2(1) एवं प्रस्तर-5 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
       इस निर्णय के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 तथा निजी औद्योगिक पार्काें की स्थापना हेतु प्रोत्साहन योजना के तहत निजी औद्योगिक पार्काें हेतु भूमि की सीमा घटाकर बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल में 20 एकड़ या उससे अधिक तथा मध्यांचल तथा पश्चिमांचल (गाजियाबाद एवं गौतमबुद्धनगर को सम्मिलित करते हुए) 30 एकड़ या उससे अधिक किया गया है। 
        इसके अलावा, ‘उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग तथा लाॅजिस्टिक्स नीति-2018’ के अन्तर्गत लाॅजिस्टिक्स पार्क की पात्रता सीमा 50 एकड़ से घटाकर 25 एकड़ की गयी है। इन संशोधनों से प्रदेश में परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत कार्यांे की अनुमन्यता सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी


- ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब और निराश्रित परिवारों को मदद


- गौ-संरक्षण केन्द्रों के लिए विभिन्न कार्य अनुमन्य
       मंत्रिपरिषद ने राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत कार्यांे की अनुमन्यता सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत ग्राम पंचायत को उपलब्ध होने वाली धनराशि में से 3 प्रतिशत की धनराशि प्रतिवर्ष इन कार्याें पर व्यय किये जाने की अनुमति दी गयी है। 
(1) अत्यधिक गरीब और निराश्रित परिवारों में मृत्यु होने पर मृतक आश्रित को 5,000 रुपये अन्त्येष्टि हेतु प्रदान किये जाने की व्यवस्था।
(2) ऐसे परिवारों में आकस्मिक रूप से बीमारी की दशा में किसी अन्य योजना यथा आयुष्मान भारत योजना, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में कवर न होने की दशा में उन्हें एक बार सहायता राशि के रूप में तत्काल 2,000 रुपये प्रदान किये जाने की व्यवस्था।
(3) ग्राम पंचायत में अन्त्योदय श्रेणी के परिवार (इसका आशय अन्त्योदय योजना का कार्ड होने या न होने से नहीं है, अपितु निर्धनता से है) की भूख से मृत्यु न हो, ऐसे परिवार को एक बार की सहायता राशि 1,000 रुपये उपलब्ध करायी जाएगी।
(4) ग्राम पंचायत में राज्य वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली वार्षिक धनराशि का 03 प्रतिशत के अन्तर्गत उपरोक्त मदों का व्यय पूरा न हो पाने की दशा में ग्राम पंचायत द्वारा इसकी सूचना सम्बन्धित जिलाधिकारी को उपलब्ध करायी जाएगी, जो प्रभावित परिवार को टी0आर0-27 से धनराशि आहरित कर भुगतान करेंगे। जिसकी प्रतिपूर्ति मुख्यमंत्री राहत कोष से धनराशि आहरित कर सहायता राशि उपलब्ध कराएंगे।
          ग्राम पंचायत द्वारा उपरोक्त सहायता हेतु पात्र परिवार का चयन परिवार की निर्धनता तथा आवश्यकता के दृष्टिगत किया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान तथा पंचायत सचिव संयुक्त रूप से सहायता हेतु पात्र परिवार के चयन हेतु जिम्मेदार होंगे।
           प्रस्तावित योजना के अन्तर्गत पात्र व्यक्तियों/परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करते समय की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी कराने के साथ ही प्रत्येक लाभार्थी का फोटो एवं हस्ताक्षर सहित पूर्ण विवरण/डाटाबेस ग्राम पंचायत स्तर पर रजिस्टर में भी बनाए रखा जाना सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि वास्तविक रूप से पात्र व्यक्तियों को ही योजना का लाभ प्राप्त हो सके तथा पुनरावृत्ति की सम्भावना को भी रोका जा सके।
 इसके अलावा, राज्य वित्त आयोग की धनराशि के अन्तर्गत शासकीय धनराशि से स्थापित/संचालित गो-संरक्षण केन्द्रों के लिए इन कार्याें को अनुमन्य किया गया है। 
(1) गो-संरक्षण केन्द्र की आवश्यकता के अनुसार भूसे को भण्डार गृह तक ले जाने के लिए परिवहन लागत एवं उसमें निहित मानव श्रम पर व्यय।
(2) इच्छुक कृषकों के खेतों पर अनुप्रयोजित फसल अवशेष को काट कर भूसे में परिवर्तित किये जाने हेतु मशीनरी एवं मानव श्रम पर व्यय।
(3) भूसा संग्रह हेतु निर्मित किये जाने वाले परम्परागत भूसे के कूप या खोप या भक्कू या बुर्जी आदि, चाहे जिस भी नाम जाना जाए, को बनाने में लगने वाली सामग्री यथा बांस/पुआल/रस्सी आदि पर आने वाला व्यय एवं उसको बनाने हेतु भवन श्रम पर आने वाला व्यय।
(4) गो-संरक्षण केन्द्रों पर संरक्षित पशुओं की संख्या को देखते हुए आवश्यकतानुसार नियोजित किये जाने वाले गो-सेवक श्रमिकों को पारिश्रमिक का भुगतान।

उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के अन्तर्गत राज्य में निवेश को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न नीतियों एवं पूर्वगामी अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत संचालित योजनाओं में इन्सेन्टिव के रूप में एस0जी0एस0टी0 की प्रतिपूर्ति की सुविधा हेतु मानक परिचालन प्रक्रिया के निर्धारण का प्रस्ताव अनुमोदित -
 
      मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के अन्तर्गत राज्य में निवेश को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न नीतियों एवं पूर्वगामी अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत संचालित योजनाओं में इन्सेन्टिव के रूप में एस0जी0एस0टी0 की प्रतिपूर्ति की सुविधा हेतु मानक परिचालन प्रक्रिया (स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर) के निर्धारण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
       स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर से सभी प्रशासनिक विभागों द्वारा इस प्रमुख सुविधा के आंकलन एवं प्रोसेसिंग में आने वाली मुख्य समस्याओं का समान रूप से निस्तारण करने एवं निवेशकों को सुदृढ़ एवं सरलीकृत व्यवस्था के अधीन प्रश्नगत सुविधा का अविलम्ब वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा। 
         प्रस्तावित स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के अन्तर्गत जारी नियमावली एवं नीति में वर्णित विभिन्न सेक्टर विशिष्ट नीतियों के अतिरिक्त अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत संचालित मेगा परियोजनाओं एवं औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन योजना 2003/2012 पर समान रूप से लागू होंगे। इस स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यथावश्यक नियमावलियों में प्रक्रियात्मक संशोधनों हेतु प्रशासनिक विभाग सक्षम होंगे। इसी प्रकार यह स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर सभी अन्य नीतियों में समान रूप से लागू होंगे, जिनमें निवेशकों को एस0जी0एस0टी0 की प्रतिपूर्ति सुविधा अनुमन्य कराये जाने का प्राविधान किया गया है। ईज़ आॅफ डूइंग बिजनेस की दृष्टि से सम्बन्धित इकाइयों द्वारा एस0जी0एस0टी0 प्रतिपूर्ति हेतु क्लेम नोडल एजेन्सी/विभाग को प्रस्तुत किया जाएगा। सम्बन्धित संस्था/विभाग द्वारा एस0ओ0पी0 का पालन करते हुए संगत नीति के प्राविधानों के अन्तर्गत परीक्षण/आंकलन कर प्रस्ताव राज्य कर विभाग को प्रेषित किया जाएगा। राज्य कर विभाग द्वारा प्रस्ताव का परीक्षण कर अपनी आख्या सम्बन्धित विभाग को उपलब्ध करायी जाएगी। इसके पश्चात सम्बन्धित विभाग सक्षम संस्तुतिकर्ता/स्वीकृतिकर्ता स्तर से अनुमोदन प्राप्त कर नेट एस0जी0एस0टी0 की स्वीकृत धनराशि को सम्बन्धित इकाई को वितरण हेतु राज्य कर विभाग को प्रेषित करेंगे, जो अपने बजट से स्वीकृत क्लेम की धनराशि की प्रतिपूर्ति करेंगे। जब तक वित्त विभाग द्वारा इस हेतु राज्य कर विभाग को बजट आवंटन नहीं किया जाता है, तब तक प्रशासकीय विभाग द्वारा एस0जी0एस0टी0 क्लेम प्रतिपूर्ति अपने बजट से की जाती रहेगी।

राजकीय मेडिकल काॅलेजों में संविदा के आधार पर चयन हेतु चिकित्सा शिक्षकों की अधिकतम आयु सीमा में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी - 
 
 मंत्रिपरिषद ने राजकीय मेडिकल काॅलेजों में संविदा के आधार पर चयन हेतु चिकित्सा शिक्षकों की अधिकतम आयु सीमा में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। 
       राजकीय मेडिकल काॅलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी को पूर्ण करने हेतु संविदा के आधार पर चिकित्सा शिक्षकों की तैनाती किये जाने हेतु शासनादेश दिनांक 15.12.2008 द्वारा नीति निर्धारित किया गया था, जिसमें सभी पदों हेतु भर्ती की अधिकतम आयु सीमा आरक्षित वर्ग हेतु 50 वर्ष व सामान्य वर्ग हेतु 45 वर्ष निर्धारित थी। वर्तमान में चिकित्सा शिक्षकों की व्याप्त कमी को दूर किये जाने हेतु अधिकाधिक अभ्यर्थियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से शासनादेश दिनांक 15 दिसम्बर, 2008 को संशोधित करते हुए संविदा पर नियुक्त किये जाने वाले चिकित्सा शिक्षकों की अधिकतम आयु सीमा नियुक्ति वर्ष के जुलाई माह के प्रथम दिवस को सहायक आचार्य हेतु 60 वर्ष, सह आचार्य हेतु 64 वर्ष एवं आचार्य हेतु 68 वर्ष किये जाने पर अनुमोदन प्रदान किया गया है।

प्राविधिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत रिक्त प्रवक्ता के पदों पर मानदेय/संविदा के आधार पर सेवानिवृत्त शिक्षकों से अध्यापन कार्य लिये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी - 
 
        मंत्रिपरिषद ने प्राविधिक शिक्षा (डिप्लोमा सेक्टर) उत्तर प्रदेश के नियंत्रणाधीन राजकीय पाॅलीटेक्निकों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए, राजकीय पाॅलीटेक्निकों के प्रधानाचार्य, विभागाध्यक्ष व व्याख्याता के पदों से सेवानिवृत्त शिक्षकों से अध्यापन कार्य लिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। सेवानिवृत्त शिक्षकों, जिनकी आयु 70 वर्ष से अधिक न हो, को निश्चित मानदेय 25,000 रुपये प्रतिमाह की दर से केवल अध्यापन कार्य हेतु एक पारदर्शी चयन प्रक्रिया के आधार पर चयन/नियुक्त किया जाएगा।
         प्राविधिक शिक्षा विभाग (डिप्लोमा सेक्टर) के अन्तर्गत दिनांक 03.05.2018 द्वारा राजकीय पाॅलीटेक्निकों में दिनांक 03.05.2018 से ए0आई0सी0टी0ई0 के विनियम-2010 को लागू किया गया था। इसके उपरान्त ए0आई0सी0टी0ई0 विनियम-2019 की संस्तुतियों के अनुसार वेतनमान, सेवा शर्ते, अर्हता को निर्धारित करने सम्बन्धी शासनादेश दिनांक 16.03.2020 निर्गत किया जा चुका है। तद्नुसार उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली-1990 में संशोधन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इसके परिणामस्वरूप रिक्त पदों के लोक सेवा आयोग, उ0प्र0 प्रयागराज को प्रेषित किये गये अधियाचनों पर चयन/भर्ती की कार्यवाही स्थगित है। नियमावली संशोधन के पश्चात ही लोक सेवा आयोग, उ0प्र0 प्रयागराज को संशोधित/नवीन अधियाचन प्रेषण की कार्यवाही की जा सकेगी, जिसके कारण नियमित शिक्षकों की नियुक्ति/तैनाती में समय लगना स्वाभाविक है। इसके दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से पाॅलीटेक्निक संस्थाओं में शिक्षण कार्य सुचारु रूप से सम्पादित होगा।


वर्ष 2020-21 में 25 करोड़ पौधरोपण हेतु समस्त शासकीय विभागों एवं अन्य को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग एवं उद्यान विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में - 
        मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के पर्यावरणीय लाभ एवं कृषकों की आय में वृद्धि के दृष्टिगत वर्ष 2020-21 में 25 करोड़ पौधरोपण हेतु प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों/मा0 न्यायालय परिसरों/कृषकों/संस्थाओं/व्यक्तियों/निजी एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं/भारत सरकार के विभाग एवं उपक्रम/स्थानीय निकायों यथा ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, प्राधिकरण आदि/रेलवे/रक्षा/औद्योगिक इकाइयां/सहकारी समितियां एवं अन्य को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग एवं उद्यान विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौध उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके अतिरिक्त वृक्षारोपण में यूकेलिप्टिस (सफेदा) एवं पाॅपलर के वृक्ष यदि कृषक को उपलब्ध कराये जाते हैं, तो विभाग द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या 78 दिनांक 26.04.2016 में निर्धारित दर पर उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित किया गया है।
 नोएडा इण्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर के निर्माण हेतु ब्वदबमेेपवद ।हतममउमदज हस्ताक्षरित किये जाने के लिए निर्धारित समय-सीमा में विस्तार के सम्बन्ध में
 
 मंत्रिपरिषद ने नोएडा इण्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर के विकास हेतु चयनित विकासकर्र्ता नतपबी ।पतचवतज प्दजमतदंजपवदंस ।ळ को ब्वदबमेेपवद ।हतममउमदज हस्ताक्षरित किये जाने हेतु भारत और मलेशिया एवं भारत और स्विट्जरलैण्ड के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानें प्रारम्भ होने (जो भी बाद में हो) से 45 दिनों के समय के साथ ही भारत में डंदकंजवतल फनंतंदजपदम की अवधि को सम्मिलित करते हुए अथवा दिनांक 17 अगस्त, 2020, जो भी पहले हो, तक समय विस्तार पर अनुमोदन प्रदान कर दिया है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने परियोजना के सम्बन्ध में समय-समय पर यथा आवश्यकतानुसार निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
जनपद गाजियाबाद, मोदीनगर में निर्माणाधीन डध्ै प्छव्ग् ।प्त् च्त्व्क्न्ब्ज्ै च्तपअंजम स्पउपजमक ब्वउचंदल को उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल काॅलेजों तथा अस्पतालों में लिक्विड आॅक्सीजन के उत्पादन के लिए 400 किलो लीटर जल कतिपय शर्ताें के अधीन प्रतिदिन उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में
 
      मंत्रिपरिषद ने जनपद गाजियाबाद, मोदीनगर में निर्माणाधीन डध्ै प्छव्ग् ।प्त् च्त्व्क्न्ब्ज्ै च्तपअंजम स्पउपजमक ब्वउचंदल को उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल काॅलेजों तथा अस्पतालों में लिक्विड आॅक्सीजन के उत्पादन के लिए ऊपरी गंगा नहर के कि0मी0 150.580 पर निवाड़ी निरीक्षण भवन, मोदीनगर, गाजियाबाद के समीप से 400 किलो लीटर (0.2 क्यूसेक) जल कतिपय शर्ताें के अधीन प्रतिदिन उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
 डध्ै प्छव्ग् ।प्त् च्त्व्क्न्ब्ज्ै का पत्र दिनांक 25.02.2019, जिलाधिकारी, गाजियाबाद के माध्यम से मेरठ खण्ड गंगा नहर, मेरठ के कार्यालय में दिनांक 07.03.2019 को प्राप्त हुआ। डध्ै प्छव्ग् ।प्त् च्त्व्क्न्ब्ज्ै एक प्राईवेट कम्पनी है, जो लिक्विड आॅक्सीजन उत्पादित करेगी। ऊपरी गंगा नहर के कि0मी0 150.580 (निकट-मोदीनगर) से 0.2 क्यूसेक पानी प्रतिदिन उपलब्ध कराने की मांग की गयी है।
        भूमिगत जल (ग्राउण्ड वाटर) एन0सी0आर0 रीजन में एन0जी0टी0 द्वारा रोक लगाये जाने पर उपलब्ध नहीं हो सकता है। अतः सतही जल की आवश्यकता होने के कारण ऊपरी गंगा कैनाल से उक्त पानी की मांग की जा रही है। इस पानी की बचत हेतु राइट भोला रजवाहे में 490 मीटर सी0सी0 लाइनिंग का कार्य कराया जाना प्रस्तावित है।
 सी0सी0 लाइनिंग एवं आवश्यक सम्प वेल/टैंक के निर्माण हेतु धनराशि 73.18 लाख रुपये (ळैज़्ब्मदजंहम सहित) फर्म द्वारा सिंचाई विभाग को उपलब्ध करायी जाएगी। डध्ै प्छव्ग् ।प्त् च्त्व्क्न्ब्ज्ै  द्वारा लगभग 100.00 करोड़ रुपये का निवेश कर फैक्ट्री का निर्माण कर लिया गया है, किन्तु निवेश से पूर्व सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की अनुमति/सहमति उक्त सतही पानी हेतु प्राप्त नहीं की गयी है।
        उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फर्म को गोरखपुर, कानपुर, मेरठ एवं आगरा जैसे शहरों में राजकीय मेडिकल काॅलेज तथा अस्पतालों में लिक्विड आॅक्सीजन की आपूर्ति का कार्य एवार्ड किया गया। फर्म द्वारा 150 टन प्रतिदिन लिक्विड आॅक्सीजन उत्पादित की जाएगी। एम0ओ0यू0 पर हस्ताक्षर शासन द्वारा तथा फर्म के एम0डी0 के मध्य किया जाएगा तथा यह मात्र 10 वर्ष के लिए मान्य होगा, उसके उपरान्त एम0ओ0यू0 पुनरीक्षित किया जाएगा तथा दरें भी उ0प्र0 जल प्रबन्धन एवं नियामक आयोग ;न्च्ॅंडत्मब्द्ध द्वारा समय-समय पर संशोधित की जाएंगी।
        फर्म द्वारा उ0प्र0 जल प्रबन्धन एवं नियामक आयोग द्वारा निर्धारित रायल्टी/जल मूल्य 100.00 लाख रुपये प्रति क्यूसेक/प्रतिवर्ष की दर से 20.00 लाख रुपये एवं अतिरिक्त जल मूल्य/जल कर 208.00 प्रति हजार घनफुट की दर से 13.12 लाख रुपये प्रतिवर्ष देय होगा। इस प्रकार फर्म द्वारा कुल 33.12 लाख रुपये सिंचाई विभाग को प्रतिवर्ष देय होगा।
लोक निर्माण विभाग के भवन निर्माण कार्याें में केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्गत ‘जनरल कण्डीशन आॅफ काॅन्ट्रैक्ट-2019 कंस्ट्रक्शन वक्र्स’ के प्रयोग के सम्बन्ध में - 
        मंत्रिपरिषद ने लोक निर्माण विभाग में 5 करोड़ रुपये से अधिक परन्तु 50 करोड़ रुपये तक की लागत के भवन निर्माण कार्य हेतु केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, भारत सरकार द्वारा निर्गत ‘जनरल कण्डीशन आॅफ काॅन्ट्रैक्ट-2019 कंस्ट्रक्शन वक्र्स’ (यथावश्यक संशोधनों सहित) के प्रयोग तथा 50 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के भवन निर्माण कार्याें को ई0पी0सी0 मोड पर कराये जाने हेतु केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, भारत सरकार द्वारा निर्गत ‘जनरल कण्डीशन आॅफ काॅन्ट्रैक्ट-2019 कंस्ट्रक्शन वक्र्स’ (यथावश्यक संशोधनों सहित) के प्रयोग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस निर्णय से भवन निर्माण कार्याें हेतु पृथक से अनुबन्ध प्रपत्र अनुमन्य हो जाएंगे, जिससे कार्याें को कराये जाने में सुगमता होगी।

 लोक निर्माण विभाग में 5 करोड़ रु0 या उससे अधिक लागत के कार्याें में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में प्रचलित ‘स्टैण्डर्ड बिडिंग डाॅक्यूमेंट प्रोक्योरमेंट आॅफ सिविल वक्र्स’ को अंगीकृत करने का निर्णय - 
 
        मंत्रिपरिषद ने राज्य के लोक निर्माण विभाग में 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत के कार्याें में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ), भारत सरकार में प्रचलित ‘स्टैण्डर्ड बिडिंग डाॅक्यूमेंट प्रोक्योरमेंट आॅफ सिविल वक्र्स’ को अंगीकृत करने का निर्णय लिया है। 
        इस अंगीकरण के फलस्वरूप निर्माण कार्याें में प्रयुक्त सामग्री की दरों में परिवर्तन होने पर मूल्य-समायोजन की अनुमन्यता हेतु वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के सामान्य वित्तीय नियम-2017 के नियम-225 के प्रस्तर (टप्प्प्)(ं) में उल्लिखित प्राविधान लागू हो सकेंगे। 
         इन प्राविधानों के अनुसार मूल्य-समायोजन ऐसे कार्याें में अनुमन्य किया जाना प्रस्तावित है, जिनमें कार्य पूर्ण होने की समयावधि 18 माह से अधिक निर्धारित है। वर्तमान प्राविधानानुसार मूल्य-समायोजन ऐसे निर्माण कार्याें में देय होता है, जिनमें अनुबन्ध की शर्ताें के अनुसार कार्य के पूर्ण होने की अवधि 12 माह से अधिक निर्धारित होती है। मूल्य-समायोजन हेतु समय-सीमा 12 माह से अधिक को बढ़ाकर 18 माह से अधिक करने पर, निर्माण सामग्री की दरों में वृद्धि होने से विभाग को बढ़ी हुई दरों पर भुगतान नहीं करना पड़ेगा। इससे सरकारी धन की बचत होगी। 
         इस निर्णय से निर्माण कार्याें के आगणन को बार-बार पुनरीक्षित करने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे सरकारी धन एवं समय की बचत होगी। अनुबन्धात्मक कार्य समयान्तर्गत पूर्ण हो सकेंगे। शासकीय धनराशि की बचत होने से अन्य कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को गति दी जा सकेगी।

लखनऊ-बलिया राज्य मार्ग संख्या-34 के आजमगढ़ से मऊ तक मार्ग के 4-लेन चैड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्य हेतु पुनरीक्षित लागत 43,294.90 लाख रु0 के व्यय की मंजूरी - 
 
        मंत्रिपरिषद ने लखनऊ-बलिया राज्य मार्ग संख्या-34 के चैनेज 270.00 से चैनेज 316.506 तक (आजमगढ़ से मऊ तक का भाग) मार्ग के 4-लेन चैड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्य हेतु व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित पुनरीक्षित लागत 43,294.90 लाख रुपये के व्यय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
         इस मार्ग के 04-लेन निर्माण हो जाने से छोटे वाहन (साइकिल, आॅटो, तांगा, बैलगाड़ी, मोटरसाइकिल, पैदल) हेतु सुरक्षित एवं दुर्घटना मुक्त काॅरिडोर उपलब्ध हो जाएगा, जिससे भारी एवं हल्के वाहनों का यातायात सुरक्षित एवं सुविधाजनक हो जाएगा तथा डीजल एवं पेट्रोल की भी बचत होगी। इसके अतिरिक्त मार्ग पर खराब हुए वाहनों को सुरक्षित पार्किंग एवं मरम्मत कार्य हेतु स्थान उपलब्ध हो जाएगा, जिससे अवरोधरहित यातायात सम्भव होगा और प्रदेश के अति पिछड़े पूर्वांचल क्षेत्र का चहुंमुखी विकास सम्भव हो सकेगा।

पूर्व निर्गत अधिसूचना संख्या-1773/एक-1-2019-24(1)/2018, दिनांक 31.10.2019 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी - 
 
       मंत्रिपरिषद ने पूर्व निर्गत अधिसूचना संख्या-1773/एक-1-2019-24(1) /2018, दिनांक 31.10.2019 में संशोधन कर मेसर्स जे0पी0 एसोसिएट लि0 के स्थान पर मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लि0 का नाम अंकित कर अधिसूचना निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
        ज्ञातव्य है कि अधिसूचना संख्या-1773/एक-1-2019-24(1)/2018, दिनांक 31.10.2019 द्वारा जनपद सोनभद्र स्थित जे0पी0 सीमेंट फैक्टरी के खनन क्षेत्र से आच्छादित वन भूमि के बदले मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के अनुपालन में सीमेंट फैक्टरी हेतु खनन की अनुमति के लिए वनीकरण हेतु जनपद मीरजापुर में 470.304 हे0 गैर वनभूमि मेसर्स जे0पी0 एसोसिएट्स लि0 के माध्यम से वन विभाग को दिए जाने के आदेश निर्गत किए जा चुके हैं।
 मेसर्स जे0पी0 एसोसिएट्स लि0 द्वारा सीमेंट फैक्टरी मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लि0 को विक्रय कर दिए जाने के कारण पूर्व निर्गत राजस्व अनुभाग-1 की अधिसूचना संख्या-1773/एक-1-2019-24(1)2018, दिनांक 31.10.2019 में संशोधन कर मेसर्स जे0पी0 एसोसिएट्स लि0 के स्थान पर मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लि0 का नाम अंकित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के उपरान्त उक्त सीमेंट फैक्टरी के वर्तमान स्वामी मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लि0 द्वारा उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकेगा। सीमेंट फैक्टरी यूनिट के संचालन से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष कर के रूप में सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, वहीं हजारों की संख्या में युवाओं के लिए रोजगार सृजन की भी सम्भावना है। 

जिला पंचायतों के लेखाकारों का द्विस्तरीय ढांचा बनाये रखने एवं लेखाकार के पद को कार्य अधिकारी के पोषक संवर्ग में पूर्व की भांति यथावत बनाये रखने के प्रस्ताव को मंजूरी - 
 
 मंत्रिपरिषद ने जिला पंचायतों के लेखाकारों का द्विस्तरीय ढांचा बनाये रखने एवं लेखाकार के पद को कार्य अधिकारी के पोषक संवर्ग में पूर्व की भांति यथावत बनाये रखने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।