वित्त मंत्री ने कोरोना काल मे किसान के नुकसान और होने वाले नुकसानों को नज़रंदाज़ किया - अनिल दुबे


वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 15 मई। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने आज जारी  बयान में कहा कि कोरोना महामारी के चलते मोदी सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज की तीसरी क़िस्त की घोषणाएं किसानों को निराश करने वाली है। चूँकि आज वित्त मंत्री प्रदेश कॉन्फ्रेंस में घोषणाएं करती नज़र आई। परंतु कही पर भी उन्होंने यह नही बताया कि इस कोरोना काल मे  किसान का जो नुकसान हुआ है और अगले महीनों में जो नुकसान होने वाला है उसकी भरपाई कैसे होगी, उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार श्रमिको को काम पर लाने के लिए उद्योगपतियो को पास दे रही है, पर घर लौट रहे उन बेबस मज़दूरों के लिए कोई इंतज़ाम नहीं जो सड़कों पर भूखे-प्यासे मरने पर मजबूर हैं।
       श्री दुबे ने कहा कि वित्त मंत्री जी ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का 16000 करोड़ गन्ना भुगतान पर कोई बात नही की,लॉकडाउन के चलते फल ,सब्जी,किसान बर्बाद हुआ,उनके नुकसान की भरपाई हेतु कोई योजना नही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि ने अपेक्षित वृद्धि नही की गई,साथ साथ महँगे खाद बीज ,बिजली उर्वरक ओर डीजल की मार झेल रहे किसानों के लिए कोई विशेष सब्सिडी की घोषणा नही की है। आर्थिक सुधार के नाम पर भूमि अधिग्रहण कानून में छेड़छाड़ की संभावना से किसानों में रोष है,आज वित्त मंत्री जी अपने बजट की घोषणाओं को बोलती नज़र आई।
      श्री दुबे ने कहा कि समझ से परे है कि ये कैसा समाधान है? किसानों को आज भी कर्ज लेने के लिये कहा जा रहा है,ये समय भविष्य की हवा हवाई बातो का नही,किसानों, गरीबो को तत्काल राहत देने का है,सरकार के पैकेज की जैसे जैसे परते खुल रही है, वैसे-वैसे इसका खोखलापन सामने आ रहा है।
      श्री दुबे ने कहा कि आज के पैकेज में किसानों को ओर ज्यादा कर्ज देने की घोषणा हुई,फसल के दाम की कोई बात नही हुई बस कर्जा देने की स्कीम समझाई गई, ओर बजट में पूर्व में घोषित स्किम पढ़ी गई ,तत्काल के लिए कुछ भी नही है इससे देश के किसानों में आक्रोश है अब सब जान गये हैं कि ये सरकार अमीरों के साथ है और मज़दूर, किसान, ग़रीब के ख़िलाफ़ है। भाजपा की कलई खुल गई है।
राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश सरकार से मांग करता है कि प्रवासी मज़दूरों को उनके घर भिजवाया जाए और किसानों के लॉकडाउन ओर आने वाले महीनों में होने वाले नुकसान का अंदाज़ा लगा किसान को तत्काल सीधे सहायता पैकेज की मांग करता है।