उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की धामपुर तहसील के रहने वाले किसान बिजेंदर चौहान ने खेती को अलग ही आयम दे दिया है। यहां के गन्ना किसानों से इतर वे नए तरह की खेती करते हैं और इसमें उन्हें लाखों की कमाई होती है। वे मोतियों की खेती करते हैं। उन्होंने इस काम को दो साल पहले शुरू किया था। अब वे इसका प्रशिक्षण भी देते हैं और कई किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं। मनी भास्कर से बातचीत में बिजेंदर ने बताया कि कोई भी व्यक्ति 50 हजार से एक लाख रुपए तक की पूंजी लगाकर साल में आसानी से कम से कम पांच गुना कमाई कर सकता है।
यूट्यूब से सीखी मोतियों की खेती
34 वर्षीय बिजेंदर ने भी शुरुआत गन्ने की खेती से ही की थी, लेकिन बाकी किसानों की तरह उन्हें भी इसमें काफी नुकसान हुआ। इसके बाद उन्हाेंने कुछ अलग करने की सोची। वे पहले से ही फिश एक्वैरियम का बिजनेस कर रहे थे। उन्होंने एक्वाकल्चर में ही आगे बढ़ने के बारे में तय किया। ऐसे में उन्होंने आइडिया की तलाश में Youtube पर कुछ वीडियो देखे। यहां पर उन्हें पर्ल फार्मिंग के बारे में पता चला। उन्होंने कई लोगों से इस बारे में बात की। इसके बाद नागपुर में उनकी भुवनभाई पटेल से बात हुई। वहां जाकर बिजेंदर ने मोतियों की खेती करने की ट्रेनिंग ली।
अपने खेतों में बनाए तालाब
वापस लौटकर उन्होंने अपने तीन बीघा खेत में तालाब खुदवाए। उन्होंने इस काम में ट्रेनिंग ली थी लिहाजा बड़े स्केल पर काम शुरू किया। अपने खेतों की कीमत मिलाकर तालाब खुदवाने, फेंसिंग लगवाने में उन्होंने 25 लाख का निवेश किया। जैसे तालाबों में फिश फार्मिंग की जाती है, ठीक वैसे ही तालाबों में मोतियों की खेती भी होती है। इन तालाबाें में उन्होंने फिश फार्मिंग और पर्ल फार्मिंग दोनों शुरू कीं। पहली बार में उनकी दो लाख रुपए की मछलियां निकलीं और पांच लाख रुपए के मोती निकले। मार्च में उन्हें 10 से 15 लाख रुपए का निकलने की उम्मीद है।