मानवकृत उपायों से आगे सब तर्क छोड़ कर मां कालरात्रि से गुहार के सात दोहे आज सातवें नवरात्र पर
मां काली अब आइए ,वधन 'करोना' काल ,
घूम रहा है दैत्य सा , नित पहने मुंडमाल ।
खल वृत्ति से बना रहा ,नित मानव को ग्रास ,
डरे डरे से देव सब , बस तुमसे ही आस ।
खप्पर लेकर आइए , मां धर कर नव रूप ,
घना अंधेरा छांटिए ,खिला नेह की धूप ।
रक्त बीज सा बढ रहा , मानव है लाचार ,
नवरातों में कीजिए ,मां आकर संहार ।
कल गौरी भी आएंगी , कीजै पथ प्रशस्त ,
मां कालरात्रि कीजिए ,आन दुष्ट को ध्वस्त ।
नवराता है सातवां , माता काली आज ,
हा हा करते भक्तों की , मात राखिए लाज ।
सात जन्म तक मानेंगे , मां तेरा उपकार ,
माते आ जो कर दिया , कोरोना संहार ।
डॉ ० घनश्याम बादल